मध्यवर्ग ही वह तबका है जिसके पास अपनी तात्कालिक और आकस्मिक ज़रूरतों को पूरा करने के बाद इतना धन बचता होगा कि वह शेयर बाज़ार में निवेश कर सके। जिन 81.5 करोड़ लोगों को सरकार मुफ्त पांच किलो अनाज दे रही है, वे तो पेट भर लें, यही काफी है। वहीं, साल भर में 8 लाख रुपए या महीने भर में 66,667 तक कमानेवालों को आरक्षण के लिए आर्थिक रूप से गरीब माना गया है। वैसे, हम आसपास नज़र दौड़ाकर देखें तो ज्यादातर लोगों की महीने की तनख्वाह 50,000 रुपए से कम होगी। ऊपर से अपने यहां 90% रोज़गार अनौपचारिक क्षेत्र में मिला हुआ है, जहां काफी कम वेतन मिलता है। फिर कहां है वह मध्यवर्ग, जिसकी बदौलत हमारी अर्थव्यवस्था के साथ शेयर बाज़ार बम-बम कर सकता है? कृषि क्षेत्र से कोई उम्मीद नहीं। आईटी क्षेत्र में अधिक से अधिक 45 लाख लोगों को काम मिला हुआ है। बाकी, मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के बढ़ने पर ही वहां रोजगार पाकर अच्छा-खासा मध्यवर्ग विकसित हो सकता है। अब बुधवार की बुद्धि…
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