अनिश्चितता से भरी दुनिया है तो धंधे में भी ऊपर-नीचे चलता रहता है। कभी तेज़ तो कभी मंदा। कंपनियों के शेयर सीधे-सीधे उसके धंधे से प्रभावित होते हैं तो अगर उसमें ऑपरेटर सक्रिय न हों तो धंधे के मंदा पड़ते ही शेयर भी ठंडे पड़ने लगते हैं। ऐसे में लम्बे समय के निवेशक को क्या करना चाहिए? नियम व समझदारी कहती है कि अगर किसी भी वजह से कोई शेयर हमारे खरीद मूल्य से 25% तक गिर जाए तो उसे झटपट बेचकर उतना घाटा खा लेना चाहिए। किसी वजह से कंपनी के मूलभूत पहलू कमज़ोर पड़ जाएं तो यकीनन समय रहते उससे निकल जाना चाहिए। लेकिन अगर मूलभूत मजबूती है और बिजनेस संभावनामय है तो शेयर के गिरने पर हमें उसमें अपना निवेश बढ़ा देना चाहिए। आज तथास्तु में उत्तर प्रदेश की एक ऐसी कंपनी जिसका धंधा थोड़ा कमज़ोर पड़ने से आठ महीनों में उसका शेयर करीब 18.50% घाटा दे रहा है…
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