गली-मोहल्ले, गांव, कस्बों व शहरों में कहीं जाकर देख लें। आम भारतीय इतने उद्यमी हैं कि तिनके का सहारा पाकर भी जीने का सलीका खोज लेते हैं। लेकिन बेहतर काम-धंधे व कमाई के लिए उन्हें बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य व कौशल चाहिए। ऐसा कौशल, जो उद्योगों से लेकर सेवा क्षेत्र तक में तेज़ी से इस्तेमाल हो रही मशीनों को चलाना सिखा सके। उद्योग धंधों के लिए यकीनन इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स की व्यववस्था चौकस होनी चाहिए। लेकिन जब शिक्षा की स्थिति यह हो कि 17-18 साल के युवाओं में से केवल 77% कक्षा-दो की किताबें पढ़ सकें और महज 35% भाग दे सकें तो सरकार की पहली प्राथमिकता मानव पूंजी को विकसित करना होना चाहिए। सरकार आम लोगों से जमकर टैक्स वसूल रही है। दो-तिहाई जीएसटी तो आमलोग लेते हैं। दिक्कत यह है कि भारत सरकार बहुत कुछ छिपाने के साथ ही यह भी नहीं बताती कि देश के सबसे 100 अमीर कितना टैक्स देते हैं? देश में खरबपतियों की संख्या अमेरिका व चीन के बाद तीसरे नंबर पर है। क्या इन पर ज्यादा टैक्स लगाकर शिक्षा व स्वास्थ्य की उत्तम व्यवस्था नहीं हो सकती? है सरकार में साहस? अब शुक्रवार अभ्यास…
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