अपने यहां महिलाओं का बहुत बड़ा हिस्सा घर-परिवार चलाने के बेहद ज़रूरी काम में रात-दिन लगा रहता है। लेकिन उन्हें इसका कहीं से कोई भुगतान नहीं मिलता तो इन महिलाओं की गिनती देश की श्रम शक्ति में नहीं होती। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक नए अध्ययन में हिसाब लगाया गया है कि अगर महिलाओं को इस अनपेड काम का भुगतान मिलने लग जाए तो इससे हमारे जीडीपी या अर्थव्यवस्था में लगभग 7.5% का इज़ाफा हो जाएगा। साथ ही अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस समय दुनिया के 64 देशों की महिलाएं हर दिन कुल मिलाकर 1640 करोड़ घंटे बेगार करती हैं। भारत के बारे में एसबीआई का कहना है कि महिलाएं औसतन 7.2 घंटे प्रतिदिन काम करती हैं। बेगार या बिना किसी भुगतान के काम कर रही इन महिलाओं का योगदान अर्थव्यवस्था में लगभग 22.7 लाख करोड़ रुपए का निकलता है जो हमारे जीडीपी का करीब-करीब 7.5% है। इसमें से 14.7 लाख करोड़ रुपए का योगदान ग्रामीण महिलाओं और 8 लाख करोड़ रुपए का योगदान शहरी महिलाओं का है। ऐसे में अगर राजनीतिक पार्टियां करदाता के धन से महिलाओं को 1200-1500 रुपए देने लगी हैं तो उसे फ्री की रेवड़ी कहना गलत होगा। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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