दास की दासता में रिजर्व बैंक का कचरा

शक्तिकांत दास को मोदी सरकार ने 12 दिसंबर 2018 से जब से रिजर्व बैंक का गवर्नर बनाया है, तभी से उन्होंने केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता व स्वतंत्रता को दरकिनार कर सरकार का दास बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। यह पद संभालने के बाद से अब तक वे रिजर्व बैंक के खज़ाने से 7,10,835 करोड़ रुपए केंद्र सरकार के हवाले कर चुके हैं। इस बीच 2021 में उन्हें तीन साल का पहला एक्सटेंशन मिल गया। उनका दूसरा कार्यकाल इस साल दिसंबर में खत्म होगा। लेकिन तीसरे एक्सटेंशन के लिए हफ्ते भर पहले उन्होंने तब पूरी ज़मीन तैयार कर ली, जब रिजर्व बैंक की तरफ से रिपोर्ट जारी की गई कि बीते वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान देश में रोज़गार सीधे 4.67 करोड़ बढ़कर 59.67 करोड़ से 64.33 करोड़ पर पहुंच गया। यही नहीं, वित्त वर्ष 2020-21 से देश में 7.8 करोड़ नए रोज़गार जुड़े हैं। ऊपर से केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय ने डेटा फेंक रखा है कि 2017-18 से ही देश में हर साल 2 करोड़ से ज्यादा रोज़गार पैदा हो रहे हैं। इससे अभी तक रोज़गार सृजन पर आंय-बांय-सांय करने और 47 करोड़ बांटे गए मुद्रा लोन की चादर में छिपनेवाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नया मसाला मिल गया। उन्होंने ललकारते हुए कहा कि विपक्ष रोज़गार की स्थिति पर झूठ फैला रहा है। अब सोमवार का व्योम…

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