झूठ की दुकान, झूठे पकवान कब तक!

नारे फेंको, चुनाव जीतो और जनधन की लूट को बेरोकटोक जारी रखो। लगता है यही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मोटो बन गया है। हर भारतीय के बैंकखाते में 15 लाख रुपए को तो खुद मोटाभाई जुमला घोषित कर चुके हैं। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी और हर साल दो करोड़ रोज़गार जैसे नारों व वादों की हकीकत जगजाहिर है। लेकिन डंके की चोट और मीडिया के नगाड़े की थाप पर बोलते हैं कि मोदी जो कहते हैं, वो करते हैं। यह भी वादा कि 2025 में भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बना देंगे। खुद सरकार के मुताबिक 2022-23 में हमारी अर्थव्यवस्था 3.7 ट्रिलियन डॉलर की रही है। अगर 2025 को वित्त वर्ष 2024-25 मानें तो जीडीपी को दो साल में 16.25% और 2025-26 मानें तो तीन साल में 10.56% की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ना होगा। जो जीडीपी अभी 6-7% की गति से बढ़ रहा है, उसके लिए 10.56% से लेकर 16.25% की विकास दर हासिल करना असंभव है। मोदी ने अब 2047 तक भारत को विकसित देश बना देने का नया नारा उछाल दिया है। कहीं सवाल नहीं, न कोई जवाबदेही। साहेब फेंकते रहें और हम-आप लपकते रहें। अब बुधवार की बुद्धि…

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