सेषासायी पेपर को लेकर सो जाने का

सेषासायी पेपर 51 साल पुरानी तमिलनाडु की कंपनी है। उत्तर भारत की कंपनी होती तो सही नाम शेषाशायी होता। शेषाशायी विष्णु का पर्यायवाची है जिसका शाब्दिक अर्थ है शेषनाग पर शयन करनेवाला। खैर, नाम में क्या रखा है! कंपनी ने पिछले महीने 23 जुलाई को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजे घोषित किए। इसके मुताबिक साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में उसका बिक्री 9.69 फीसदी बढ़कर 120.08 करोड़ से 131.71 करोड़ रुपए हो गई है, लेकिन शुद्ध लाभ 45.14 फीसदी घटकर 14.62 करोड़ से 8.02 करोड़ रुपए पर आ गया।

शायद इन खराब नतीजों की वजह से उसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर (बीएसई – 502450, एनएसई – SESHAPAPER) 245 रुपए से घटकर 23.67 फीसदी घटकर पिछले के पिछले शुक्रवार, 19 अगस्त को 187 रुपए तक चला गया जो पिछले 52 हफ्ते का उसका नया न्यूनतम स्तर है। उसके बाद थोड़ा उठते-उठते यह बीते शुक्रवार को एनएसई में 197.45 रुपए और बीएसई में 199.05 रुपए पर बंद हुआ है। यह शेयर पिछले साल मार्च में 150 रुपए के आसपास चल रहा था और सात महीने बाद ही 28 अक्टूबर 2010 को 289 रुपए पर पहुंच गया था।

यह इस स्टॉक की अभी तक की रेंज है जिसमें फिलहाल वह अपने न्यूनतम स्तर के ज्यादा करीब है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 57.78 रुपए रहा है। जून तिमाही के कमजोर नतीजों को शामिल करने पर भी उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस अभी 51.91 रुपए निकलता है। इस तरह 199.05 रुपए के मौजूदा भाव पर उसका शेयर मात्र 3.83 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। इस शेयर की बुक वैल्यू ही 251.60 रुपए है। शेयर इस समय अपने सबसे कम पी/ई पर ट्रेड हो रहा है, जबकि पिछले साल जनवरी में यह 16.12 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो चुका है। जाहिर है कि इसमें इस समय किया गया निवेश निश्चित रूप से फलदायी होगा। इसकी कुछ और भी बुनियादी वजहें हैं।

कंपनी ने इसी साल तमिलानाडु में ही कार्यरत एक कंपनी सुब्बुराज पेपर्र का अधिग्रहण 250 करोड़ रुपए में किया है। इसके बाद उसकी उत्पादन क्षमता 12 लाख टन सालाना से बढ़कर 21 लाख टन सालाना हो गई है। कंपनी अपनी क्षमता को बढ़ाकर 50 लाख टन करने के प्रोजेक्ट को अंतिम रूप में दे रही है, जिसकी अनुमानित लागत 1000 करोड़ रुपए है। कंपनी की बिक्री बीते वित्त वर्ष में 568 करोड़ रुपए रही है। चालू वित्त वर्ष में इसे 800 करोड़ रुपए तक पहुंचाने का लक्ष्य है। इसी हिसाब से इसका लाभार्जन भी बढ़ना चाहिए और शेयर अगले साल अप्रैल-मई तक 280 रुपए के आसपास होना चाहिए। बाकी आप जानते ही हैं कि शेयर बाजार अनिश्चितता का खेल है। यहां कुछ ही पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता क्योंकि बहुत से सारे कारक शेयरों के भाव को प्रभावित करते हैं और हर कारक को पहले से देख पाना ‘मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन’ होता है।

कंपनी में निवेश के साथ जोखिम यह है कि पूरा कागज उद्योग ही बहुत पूंजी खाता है। यहां निवेश के हिसाब से कंपनी की कमाई कम रहती है। इसमें मुख्यतः कच्चा माल लकड़ी ही रहता है जिसकी कीमतें साल-दर-साल बढ़ती ही जा रही है। लेकिन सेषासायी पेपर के साथ फायदा यह है कि उसका 55 फीसदी कच्चा माल गन्ने की खोई है जो उसे चीनी मिलों से बराबर मिल जाती है। कंपनी के साथ एक और समस्या यह है कि वह फैक्टरी के लिए बिजली बनाने के अपने संयंत्र में पूरी तरह आयातित कोयला इस्तेमाल करती है। इसके दाम 2007-08 में दोगुने से ज्यादा हो गए थे। इसके बाद थोड़ा नीचे आ गए। लेकिन इधर फिर बढ़ने की दिशा पकड़ ली है।

खैर, धंधे में यह सब चलता ही रहता है। सेषाशायी ऐसे तमाम प्रभावों के बीच 51 सालों से खुद को जमा चुकी है और बहुत तेजी से बढ़ने की कोशिश में है। इसलिए उसके साथ चलने में ज्यादा जोखिम नहीं है। हां, एक दिक्कत जरूर है कि उसके शेयरों में ज्यादा वोल्यूम नहीं होता। जैसे, शुक्रवार 26 अगस्त को बीएसई में उसके 162 शेयरों और एनएसई में 443 शेयरों में कारोबार हुआ। लेकिन निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ने पर यह स्थिति बदल भी सकती है।

कंपनी की कुल इक्विटी 11.25 करोड़ रुपए है। इसका 57.97 फीसदी पब्लिक और 42.03 फीसदी प्रवर्तकों के पास है। प्रवर्तकों ने कोई शेयर गिरवी नहीं रखे हैं। एफआईआई ने कंपनी के 1.79 फीसदी शेयर खरीद रखे हैं, जबकि डीआईआई के पास इसके 20.69 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 13,096 है। इसमें पब्लिक की श्रेणी में सबसे ज्यादा 16 फीसदी का निवेश तमिनलाडु औद्योगिक निवेश निगम (टीआईएनसी) का है। इसके अन्य बड़े शेयरधारकों में एलआईसी (4.64 फीसदी), ऊषादेवी सरा वगी (2 फीसदी), पुष्पा देवी सरावगी (2 फीसदी), मीनल बी पटेल (2.07 फीसदी) और तेजस बी त्रिवेदी (1.04 फीसदी) शामिल हैं।

कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक एन गोपालरत्नम हैं। कंपनी बगैर किसी चूक के पिछले कई सालों से बराबर लाभांश देती रही है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसने दस रुपए के शेयर पर पांच रुपए (50 फीसदी) का लाभांश दिया है। शेयर के बाजार भावों के हिसाब से देखें तो उसकी डिविडेंड यील्ड 2.51 फीसदी चल रही है।

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