देश के मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की स्थिति बराबर सुधर रही है। फिर भी वो अभी पूरी क्षमता पर उत्पादन नहीं कर पा रहा। रिजर्व बैंक के अद्यतन सर्वे के मुताबिक बीते वित्त वर्ष 2022-23 में जनवरी-मार्च की चौथी तिमाही में क्षमता इस्तेमाल का स्तर 76.3% रहा है, जबकि इससे पहले की तीन तिमाहियों में यह क्रमशः 74.3%, 74% और 72.4% रहा था। महीने भर पहले छपे रिजर्व बैंक के इस सर्वे में 752 मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों ने भाग लिया। ऐसे माहौल में अगर कुछ कंपनियां नया पूंजी निवेश कर रही हैं तो इसकी वजह यह है कि अपनी पूरी क्षमता पर उत्पादन करने के बाद भी उन्हें मांग को पूरा करने के लिए नई क्षमता लगानी पड़ रही है। असल में कंपनियां बिजनेस बढ़ाने के लिए मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता बढ़ाती हैं, पोर्टफोलियो में नए उत्पाद जोड़ती हैं या मशीनरी को अपग्रेड करके लागत घटाती हैं। अगर कोई कंपनी नया पूंजी निवेश कर रही है तो इसका अर्थ ही है कि उसे अपना धंधा बढ़ाने की पूरी संभावना नजर आ रही है। तथास्तु में आज ऐसी ही एक कंपनी…
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