भाजपा व मोदी सरकार से जुड़े दो वरिष्ठ वकीलों – मुकुल रोहतगी और महेश जेठमलानी ने सवाल उठाया है कि अमेरिका को क्या पड़ी है कि वो भारत के उद्योगपति गौतम अडाणी पर तोहमत लगा रहा है। लेकिन उन्होंने नहीं बताया कि अमेरिका के न्याय विभाग और वहां के पूंजी बाज़ार नियामक एसईसी ने गौतम अडाणी और उनके भतीजे सागर अडाणी समेत सात अन्य सहयोगियों के खिलाफ इसलिए सम्मन जारी किया क्योंकि उन्होंने अमेरिका के निवेशकों के साथ फ्रॉड और गलतबयानी की। इन आरोपों के दस्तावेज़ी सबूत उसके पास हैं। ये है एसईसी की अपने निवेशकों के हितों के प्रति मुस्तैदी। वहीं अपनी सेबी का हाल निराला है। इस साल मार्च में खबर आई कि गौतम अडाणी व उनके समूह के खिलाफ अमेरिका में जांच चल रही है। लेकिन अडाणी की कंपनियों ने स्टॉक एक्सचेंजों को यह जानकारी देने के बजाय दावा किया है कि यह खबर झूठी है। फिर भी आज तक सेबी ने इन कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं। इससे पहले जनवरी 2023 में हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट आई, तब सुप्रीम कोर्ट तक को सेबी ने गुमराह किया कि अडाणी ने अपनी कंपनियों के शेयरों भावों मे कोई मैनुपुलेशन नहीं किया है। बाद में पता लगा कि खुद सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच व उनके पति धवल बुच ने अडाणी की ऑफशोर फर्मो में निवेश कर रखा है। अफसोस कि फिर भी बुच अपने पद पर सलामत हैं। अब मंगलवार की दृष्टि…
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