मोदी सरकार ने सत्ता संभालने के पहले कार्यकाल के पहले साल वित्त वर्ष 2014-15 में फर्टिलाइज़र सब्सिडी पर ₹70,967.31 करोड़ खर्च किए थे। अपने दूसरे कार्यकाल के पहले साल वित्त वर्ष 2019-20 में इस मद पर उसने वास्तव में ₹81,124 करोड़ खर्च किए। पर अगले वित्त वर्ष 2020-21 उसने फर्टिलाइज़र सब्सिडी का बजट आवंटन घटाकर ₹71,309 करोड़ कर दिया। तभी मार्च 2020 में कोरोना की महामारी आ गई तो पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में उसे बजट अनुमान की लगभग दोगुनी रकम ₹1,27,922 करोड़ खर्च करनी पड़ी। उसके बाद वो इसे बराबर घटाने में लगी रही। 2021-22 में बजट अनुमान घटाकर ₹79,530 करोड़ किया गया। लेकिन सरकार किसानों को लुभाने के चक्कर में इसे संभाल नहीं पाई और फर्टिलाइजर सब्सिडी का वास्तविक खर्च ₹1,53,758 करोड़ रुपए हो गया। ध्यान देने की बात है कि फर्टिलाइज़र सब्सिडी को घटाना मोदी सरकार का घोषित मकसद रहा है। पहले कार्यकाल में उसने इसे कमोबेश ₹71,000 करोड़ तक सीमित रखा। लेकिन उसके बाद बाज़ी हाथ से फिसलती गई। अब वो आंकड़ों के उलटफेर से ‘आपदा को अवसर’ में बदलने का खेल कर रही है। लेकिन उसके झूठ की कलई उतरती जा रही है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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