बाजार में सुबह से चर्चा थी कि निफ्टी आज गिरकर 5290 तक चला जाएगा और अगले कुछ दिनों में यह 4800 पर होगा। इसकी वजह यूरोप में ऋण संकट के उभार, ब्याज दरों में वृद्धि, डीजल के दाम बढ़ने के अंदेशे और विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (एफसीसीबी) की चिंता को बताया जा रहा है। लेकिन शाम होते-होते ये सारे कयास गलत साबित हुए। निफ्टी नीचे में 5367.45 तक ही गया। लेकिन फिर 5422.60 तक बढ़ने के बाद 0.15 फीसदी की बढ़त के साथ 5394.85 पर बंद हुआ।
रोलओवर का काम करनेवाले कुछ ब्रोकर चिल्ला रहे हैं कि महज दो दिन बचे रहने के बावजूद पर्याप्त रोल्स नहीं हो रहे हैं। यह निफ्टी के दोनों तरफ जानने की संभावना पेश करता है। यह नीचे में जहां 5290 तक जा सकता है, वहीं ऊपर में इसके 5515 तक जाने की गुंजाइश है। ट्रेडरों को इस मामले में सतर्क हो जाना चाहिए। एफसीसीबी का मसला निश्चित ही चिंता की बात है क्योंकि 20 अरब डॉलर की सीमा वाकई बहुत कम है। एफसीसीबी को शेयरों में बदलने में चूक का होना लाजिमी है। लेकिन ये सभी ए ग्रुप की कंपनियां हैं। इससे भी मेरी इस राय को बल मिलता है कि अगली तेजी बी ग्रुप के शेयरों में आनी है, खासकर उन शेयरों में जहां प्रवर्तकों के साथ कोई लोचा नहीं है।
अगर बाजार अगले तीन दिनों तक कमोबेश वर्तमान स्तर को बनाए रखता है तो हम मान सकते हैं कि बुरा दौर अब खत्म हो गया है क्योंकि अगला सेटलमेंट 35 दिनों का है जिसे अमूमन अच्छा ही होना चाहिए। एसबीआई में अब भी करेक्शन जारी है। यह आज गिरकर 2221.60 रुपए पर पहुंच गया। कोई आश्चर्य नहीं कि यह गुरुवार को फिजिकल सेटलमेंट की व्यवस्था न होने का शिकार हो जाए। डर है कि यह 2050 रुपए तक जा सकता है क्योंकि बहुत से ट्रेडर इसमें लांग सौदे करके फंसे पड़े हैं और सुधरने की उम्मीद में इन सौदों को काट नहीं पा रहे हैं। मेरा सुझाव है कि एसबीआई में गुरुवार तक लांग होने से बचें। इसे दोबारा 2600 रुपए के स्तर तक आने में तीन से छह महीने लग सकते हैं।
जे बी केमिकल्स में हमने जब 6 अप्रैल 2010 को पहली बार निवेश की सलाह दी थी, तब उसका भाव 75.60 रुपए था। आज वो 13.06 फीसदी गिरने के बाद भी 126.15 रुपए पर बंद हुआ है। हालांकि कंपनी ने आज ही घोषित किया कि वह अपना ओटीसी कारोबार जॉनसन एंड जॉनसन ही सहयोगी इकाई को 1100 करोड़ रुपए में बेच रही है। शेयर के आज इतना ज्यादा गिर जाने की कोई स्पष्ट वजह नहीं दिख रही है। लेकिन जिन्होंने भी अर्थकाम के कहने पर इसमें निवेश किया होगा, उन्हें अब भी करीब 67 फीसदी का रिटर्न मिल रहा है।
हमारी एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक यूफ्लेक्स के प्रवर्तक जल्दी ही अपनी इक्विटी हिस्सेदारी बेच सकते हैं। इसका और भी ब्यौरा हमारे पास है। यह स्टॉक यहां से 15-20 फीसदी बढ़ सकता है। सेंट-गोबैन गुजरात का एक ग्लास संयंत्र खरीद रही है। इस बाबत भी हमारे पास पूरी एक्सक्लूसिव जानकारी है। इस शेयर आज 2.50 फीसदी बढ़कर 39 रुपए पर पहुंचा है। मेरा मानना है कि इसे अंततः 65 रुपए के पार जाना है।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के स्टॉक्स को लेकर एक प्रमुख तेजड़िए ने दूसरे तेजड़िए पर निशाना साध रखा है। पहला तेजड़िया इस समय टॉप पर है और उसके पास इन्हें खरीदने और बेचने की बराबर क्षमता है। वह बहुत सारे स्टॉक्स में लांग है और एसबीआई व बीएचईएल समेत सभी पीएसयू स्टॉक्स में शॉर्ट है। बीएचईएल का एफपीओ उसकी 20 फीसदी चमक निकाल सकता है।
सरकार ने कोल इंडिया का आईपीओ पेश किया और वह अब तक शेयरधारकों को 60 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दे चुका है। ऐसा इसलिए उसमें भारत सरकार को उमेठने के लिए कोई एफआईआई शेयरधारक नहीं था। सरकार अपनी कई कंपनियों के एफपीओ लाने की सोच रही है, लेकिन इनमें से किसी का हाल ठीक नहीं है क्योंकि इन सभी कंपनियों में एफआईआई घुसे हुए हैं। असल में एफआईआई की सबसे बड़ी शिकार और कोई नहीं, बल्कि सरकार है। वैसे, सरकार के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि अब उसने एफपीओ के जरिए 5 से 10 फीसदी शेयर बेचने के बजाय स्कूटर्स इंडिया के निजीकरण जैसी पहल शुरू कर दी है।
भविष्य पर काबू पाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उसे अपनी मेहनत व लगन से खुद संवार लिया जाए।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)
Sir Ji,
Saint Gobain mein jo delisting ki baat hai, uska kya?
They have proposed a buy back at 31.
Request you to throw some light on the same.
Regards,
Shishir