अडाणी समूह ने हर स्तर पर अपनी फील्डिंग चाक-चौबंद कर दी है। अमेरिकी न्य़ाय विभाग ने उसके ऊपर भारत में 2029 करोड़ रुपए की रिश्वत देने का अभियोग जड़ा है। लेकिन भारत सरकार सीबीआई या ईडी ने इसकी जांच कराने को तैयार नहीं। वह न तो संसद में बहस करने को तैयार है और न ही संयुक्त संसदीय समिति से इसकी जांच कराने को। इस बीच भाजपा से जुड़े दो जानेमाने वकील खुद ही अडाणी को बचाने मैदान में उतर पड़े। उनका कहना है कि अमेरिकी अदालत में लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और यह भारत की विकासगाथा को तोड़ने की साजिश है। इसमें कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी भी शामिल हैं। इस मसले को उठाने के चलते 24 जनवरी 2023 को हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट आने से लेकर 21 नवंबर 2024 को अमेरिकी अदालत का अभियोग जाहिर होने तक अडाणी की दस कंपनियों के निवेशकों को 7 लाख करोड़ रुपए का भारी नुकसान उठाना पड़ा। आखिर इसका दोषी कौन है? कमाल की बात है कि अमेरिका के पूंजी बाजार नियामक, सिक्यूरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन ने निवेशकों को बचाने के लिए अडाणी की धर-पकड़ की, जबकि अपने यहां सेबी ने अडाणी को बचाने के लिए निवेशकों को अंधेरे में रखा। आखिर ये उल्टी रीत क्यों? अब शुक्रवार का अभ्यास…
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