प्रगति कभी हवा में नहीं होती। विकास हमेशा निरंतरता में होता है। यह कहना सफेद झूठ, सरासर धोखा और फरेब है कि मई 2014 से पहले देश में कुछ हुआ ही नहीं और सब कुछ नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही हुआ। जिन जनधन खातों, आधार और मोबाइल (जेएएम या जैम) को मोदी सरकार अपनी सफलता का मूलाधार बताती है, इन सभी की नींव मनमोहन सिंह की अगुआई वाली यूपीए सरकार के शासन में रखी गई थी। यहां कि सरकारी स्कीमों के धन के डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम का आगाज़ भी 1 जनवरी 2013 को हो चुका था। मोदी सरकार ने बस इतना किया कि उसका नाम बदलकर डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर दिया और इसे भ्रष्टाचार मिटाकर सीधे लाभार्थी के खाते में धन डालने का माध्यम बनाने का नगाड़ा पीट दिया। ज़मीनी हकीकत यह है कि लाभार्थी के बैंक खाते में धन सीधे पहुंच तो जाता है, लेकिन बैंक की शाखा के बाहर ग्राम प्रधान से लेकर सचिव तक को बिना उनका हिस्सा दिए काम नहीं चलता। नीचे से लेकर ऊपर तक भ्रष्टाचार अब भी जारी है। फर्क इतना पड़ा है कि वो भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं के हाथों में केंद्रित हो गया है। यहां तक कि कंपनियों तक से ईडी व सीबीआई के जरिए वसूली का पूरा तंत्र बनाया जा चुका है। अब बुधवार की बुद्धि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...