33 लाख कॉल ऑप्शंस को निकालना और 30 लाख पुट ऑप्शंस की ट्रेडिंग ने कल ही साफ कर दिया था कि बाजार आज कमजोर रहेगा। इसलिए निफ्टी के 5330 तक गिरने का पूरा अंदेशा था। लेकिन एक बार फिर डेरिवेटिव सौदों में फिजिकल सेटलमेंट के अभाव ने बाजार को निपटा दिया। बाजार के उस्तादों ने मौका ताड़कर एक बजकर 57 मिनट पर निर्णायक हमला बोल दिया। अफवाहों के दम पर निफ्टी को 2.54 फीसदी तोड़कर 5228.45 और सेंसेक्स को 2.30 फीसदी तोड़कर 17,196.47 पर बैठा दिया गया। निफ्टी फ्यूचर्स का आखिरी भाव कैश सेगमेंट से भी नीचे 5225.55 का रहा।
पहली अफवाह यह उड़ी कि 11 लाख करोड़ रुपए का घोटाला हो गया है। कौन इस घोटाले की जांच करेगा और क्या इसके बारे में किसी को पता नहीं है? भारत में तो हर चीज घोटाला है। फिर भी इसे तब उछाला गया, जब बाजार में रोलओवर होना है। स्विस बैंकों के घोटाले की बात अब कोई नहीं करता। अरे! असली घोटाला तो यह है कि शेयर बाजार में 1600 सस्पेंड कंपनियों में लोगों के 64,000 करोड़ रुपए गायब हो गए। इन लोगों में हम-आप सभी शामिल हैं। लेकिन कोई इसके बारे में नहीं बोलता। इसलिए कि हम इस तरह के जनसंहार के आदी हो गए हैं। फिर भी माने बैठे हैं कि जान अभी बाकी है तो घिसटते रहो। राष्ट्रमंडल खेल घोटाला और 2जी घोटाला, सभी इतिहास बन चुके हैं। कोयला घोटाले का रहस्य कभी नहीं खुलेगा क्योंकि इसमें बड़े नाम शामिल हैं और बिना राजनेताओं के वरदहस्त के वे ऐसा नहीं कर सकते थे।
यह सुबह-सुबह टाइम्स ऑफ इंडिया की हेडलाइन थी और बड़ी ही विचित्र बात है कि दोपहर तक बाजार को कैसे इसका पता नहीं था! अब प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्पष्टीकरण दिया है कि यह रिपोर्ट गुमराह करनेवाली है। टाइम्स में ही एक और खबर थी कि शिक्षा के लिए निर्धारित धन का मात्र 6 फीसदी शिक्षा पर खर्च किया जा रहा है। या तो टाइम्स ऑफ इंडिया चरका पढ़ा रहा है या सरकारी ऑर्डरों के दम पर शिक्षा क्षेत्र की कुछ कंपनियों का हम जो मूल्यांकन कर रहे हैं, वो गलत है। बाजार अपनी सुविधा के अनुसार कभी इस घोटाले को भी उछाल देगा।
इसके बाद जर्मनी के आंकड़े आ गए। असल में पहले से फिक्स बाजार हर तरह की नकारात्मक खबर का इस्तेमाल करता है, भले ही वो प्रासंगिक हो या हो। हो सकता है कि किसी दिन हम अपने पड़ोसी देश के घोटालों पर भी कोहराम मचाने लग जाएं!! जैसे, इतना कुछ काफी नहीं था तो मंदड़ियों ने ब्लैकबेरी मैसेंजर से एक और कहानी फैलानी शुरू कर दी कि मूडीज ने भारत को डाउनग्रेड कर दिया है। आखिरी एक घंटे में 20 करोड़ डॉलर की बिकवाली की गई है जो साफ-साफ दिखाता है कि ऑपरेटर और एफआईआई ने बांहों में बांहें डालकर सारा खेल किया है। कैसी गजब कथा है कि खराब बजट का फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जर्मनी के खराब आंकड़े बहुत मायने रखते हैं?
यह सारा कुछ कैश सेटलमेंट की व्यवस्था के चलते हर महीने होनेवाली पीड़ा है। हमारे-आपके पास कोई चारा नहीं है। सेटलमेंट के बीत जाने पर कोई भी किसी घोटाले की बात नहीं करेगा और सब कुछ पहले जैसा सामान्य हो जाएगा। इस समय बाजार में 99 फीसदी डे-ट्रेडर हैं और केवल एक फीसदी निवेशक हैं। इसलिए हर हाल में ऐसा कत्लोगारद तो होना ही है। कल तक सब कुछ दुरुस्त था और आज सब कुछ भयावह बन गया? मेरी यह बात कट-पेस्ट करके रख लें कि निफ्टी दो हफ्ते के भीतर 5500 पर पहुंच जाएगा और तब ये सारे घोटाले इतिहास बन जाएंगे।
जब सब कुछ एकदम दुरुस्त हो तो थोड़ा रुककर सोच लेना चाहिए कि कहीं यह किसी भयावह हादसे की आहट तो नहीं! कहीं यह तूफान के पहले की शांति तो नहीं!!
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलतः सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)