सेबी ने छोटे निवेशकों को बचाने के लिए फ्यूचर्स व ऑप्शंस का एक फ्रेमवर्क घोषित किया है जिसमें छह खास उपाय किए गए हैं। इंडेक्स डेरिवेटिव्स का कॉन्ट्रैक्ट साइज़ ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹15 लाख, ऑप्शंस का प्रीमियम पहले से ले लेना, साप्ताहिक डेरिवेटिव सौदों में फेरबदल, पोजिशन लिमिट की इंट्रा-डे मॉनिटरिंग, एक्सपायरी के दिन विभिन्न एक्सपायरी के सौदों की पोजिशन को ऑफसेट करने की सुविधा खत्म और शॉर्ट ऑप्शंस सोदों पर अतिरिक्त 2% ईएलएम या एक्सट्रीम लॉस मार्जिन। सेबी को नहीं पता कि जिन छोटे निवेशकों को बचाने की बात वो कर रही है, वे मुख्य रूप से इंडेक्स ऑप्शंस में खेलते हैं और भारी नुकसान उठा रहे हैं। वहीं, उनकी बदौलत स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर, बड़े ट्रेडर व संस्थागत निवेशक जमकर फायदा कमा रहे हैं। बीते वित्त वर्ष 2023-24 में एफ एंड ओ सेगमेंट से प्रॉपराइटरी ट्रेडरों ने ₹33,000 करोड़ और एफपीआई ने ₹28,000 करोड़ का फायदा कमाया है, जबकि व्यक्तिगत या आम ट्रेडरों ने ₹61,000 करोड़ गंवाए हैं। एफ एंड ओ पूरी तरफ ज़ीरो-सम गेम है। एक का नुकसान ही दूसरे का फायदा। अजीब-सा खेल चल रहा है अपने शेयर बाज़ार में। खुद सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच शेयरों के भावों के मैन्यूपुलेशन का चुपचाप साथ देती हैं। ब्रोकरों से लेकर तमाम फाइनेंशियल खिलाड़ियों का जाल और हर हाथ में स्मार्ट फोन तो बकरा बना आम ट्रेडर हलाल। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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