रेनेसां ज्वेलरी का आईपीओ नवंबर 2007 में आया था और उसके शेयर 150 रुपए मूल्य पर जारी किए गए थे। 12 दिसंबर 2007 को लिस्टिंग के दिन यह 190 रुपए तक चला गया। लेकिन इस समय इसका भाव 73 रुपए चल रहा है। इसका 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 95.40 रुपए (6 मई 2010) और न्यूनतम स्तर 39.60 रुपए (5 नवंबर 2009) रहा है। कंपनी अभी तक अपने लगभग सारे जेवरात अमेरिका को निर्यात करती रही है और अमेरिका चूंकि मंदी के हालात से पूरी तरह बाहर नहीं निकला है, उपभोक्ता खर्च ने अभी तक रफ्तार नहीं पकड़ी है, इसलिए रेनेसां की हालत पतली बनी हुई है।
हालांकि कंपनी ने वित्त वर्ष 2009-10 में 475.37 करोड़ रुपए की आय पर 23.43 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। लेकिन चालू वित्त वर्ष में जून की पहली तिमाही में उसकी आय 81.53 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ मात्र 52.17 लाख रुपए रहा है, जबकि साल भर पहले इसी अवधि में उसने 90.69 करोड़ रुपए की आय पर 2.32 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। इस तरह उसका लाभ घटकर लगभग एक चौथाई रह गया है। इसकी खास वजह है कर्मचारी लागत का 8.32 करोड़ से बढ़कर 12.82 करोड़ हो जाना और विदेशी मुद्रा दरों के चलते हुआ 3.69 करोड़ रुपए का नुकसान।
कंपनी सोने, चांदी से लेकर हीरे व प्लैटिनम तक के आभूषण बनाती है। काफी पुरानी कंपनी है। 1989 में इसका गठन मयूर जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रा. लिमिटेड के नाम से हुआ था। कंपनी के पास इस समय मुंबई में चार और भावनगर (गुजरात) में एक मैन्यूफैक्चरिंग सुविधा हैं जहां 3000 से ज्यादा कारीगर काम करते हैं। उसकी तीन सब्सिडियरी इकाइयां विदेश में हैं। कंपनी इधर यूरोपीय संघ और मध्य-पूर्व के देशों के बाजार में पैठ बनाने की कोशिश में है। कंपनी ने पिछले तीन सालों में कुछ अधिग्रहण भी किए हैं तो अपनी एकाध इकाई बेची भी है।
हालांकि सोने और जेवरात में लगी कंपनियों का धंधा समझना बहुत मुश्किल है क्योंकि उनके साथ काले-सफेद का चक्कर बहुत होता है। कहा भी जाता है कि हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती। लेकिन वित्तीय आंकड़ों के पैमाने पर कसा जाए तो रेनेसां ज्वेलरी मजबूत आधार पर खड़ी नजर आती है। उसका ठीक पिछले बारह महीने (टीटीएम) का ईपीएस 11.34 रुपए है जिसका मतलब हुआ कि उसका शेयर (बीएसई कोड – 532923, एनएसई कोड – RJL) इस समय केवल 6.44 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। शेयर की बुक वैल्यू 121.29 रुपए है। यानी, शेयर इससे करीब 50 रुपए नीचे चल रहा है। तो, सामान्य स्थितियों में बढ़त की गुंजाइश तो बनती है!
कंपनी की कुल इक्विटी 19.08 करोड़ रुपए है और इसका 73.20 फीसदी हिस्सा प्रवर्तकों के पास है। डीआईआई व एफआईआई के पास केवल 2.12 फीसदी शेयर हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 16,824 है। इनमें से केवल एलारा इंडिया अपॉरच्युनिटी फंड है जिसका निवेश एक लाख रुपए से ज्यादा का है और इसके पास कंपनी के 2.97 लाख (1.56 फीसदी) शेयर हैं। कंपनी के चेयरमैन निरंजन शाह (बीसीसीआई वाले नहीं) और प्रबंध निदेशक सुमित शाह हैं। कंपनी में निश्चित रूप से संभावना नजर आती है। वैसे, रेनेसां फ्रेंच शब्द है जिनका मतलब पुनर्जागरण या नव जागरण होता है।
आखिर में बस इतना कहना है कि अगर आपने हमारे कहने पर बर्जर पेंट्स का शेयर 13 मई को 60.85 रुपए पर खरीदा हो तो अब आपको प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए क्योंकि शेयर तब से करीब 88 फीसदी बढ़कर 114.30 रुपए पर पहुंच गया है। कल ही इसमें 16 फीसदी से ज्यादा की बढ़त हुई और इसने 52 हफ्ते का नया शिखर 116.40 रुपए पर बनाया। इसी तरह केआरबीएल जिसने 16 जुलाई को 24.50 रुपए पर खरीदा हो, वे भी चाहें तो बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं क्योंकि खुशीराम बिहारीलाल की इस कपनी का शेयर अब 35.35 रुपए पर है जो 44 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दे रहा है। बाकी मर्जी आपकी।