यह महज संयोग नहीं कि जो राज्य शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं तक में सबसे पिछड़े और प्रति व्यक्ति आय में सबसे नीचे हैं, वहां सबसे ज्यादा जनधन खाते खोले गए हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 9.45 करोड़ जनधन खाते खोले गए हैं। उसके बाद 6 करोड़ खातों के साथ बिहार का नंबर है। ये दोनों ही राज्य प्रति व्यक्ति आय में देश के 33 राज्यों व संघशासित क्षेत्रों में सबसे निचले पायदान पर हैं। इस पर भी गौर करें कि 28 अगस्त 2024 तक के अपडेट के मुताबिक, कुल 53.27 करोड़ जनधन खातों में से सबसे ज्यादा 41.53 करोड़ (77.96%) खाते सरकारी बैंकों में हैं, जबकि निजी बैंकों में खोले गए जनधन खातों की संख्या मात्र 1.64 करोड़ (3.08%) है। जाहिर है कि सरकारी बैंकों को दौड़ा-दौड़ाकर जनधन खाते खुलवाए गए। यह स्कीम लॉन्च की गई तो 23 अगस्त से 29 अगस्त 2014 तक 77,892 कैंप लगा हफ्ते भर में ही 1.81 करोड़ बचत खाते खोलकर मोदी सरकार ने गिनीज़ बुक में रिकॉर्ड दर्ज करा लिया। लेकिन क्या सरकारी नीतियां गिनीज़ बुक में नाम लिखाने के लिए बनाई जाती हैं? कुल जनधन खातों में से 29.64 करोड़ (55.64%) खाते महिलाओं के हैं। लेकिन क्या इनसे वित्तीय रूप से महिलाओं की स्थिति मजबूत हुई है या सारा कुछ महज झांकी है? अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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