इस साल भी दालों की महंगाई घटने के आसार नहीं हैं क्योंकि इस साल पिछले साल की बनिस्बत कम क्षेत्रफल में दलहन की बोवाई की गई है। कृषि मंत्रालय को राज्यों से मिले आंकड़ों के अनुसार 2 जुलाई 2010 तक देश भर में 5.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में दलहनी फसलें बोई गई हैं, जबकि साल भर पहले 2 जुलाई 2009 तक दलहन का बोवाई रकबा 5.18 लाख हेक्टेयर था। इस तरह इस साल 3000 हेक्टेयर कम रकबे में दलहन की खेती की गई है।
दूसरी तरफ इस बार तिहलन और धान से लेकर गन्ने तक की खेती का रकबा बढ़ा है। इस बार धान की रोपाई 46.46 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल यह 45.43 लाख हेक्टेयर में हुई थी। तिहलन की खेती इस बार 28.86 लाख हेक्टेयर में हो रही है, जबकि पिछले साल इसका बोवाई रकबा मात्र 12.96 हेक्टेयर था। इस आधार पर इस साल तिलहन का उत्पादन दोगुना होना चाहिए। मतलब, खाद्य तेलों के दाम भविष्य में गिर सकते हैं।
बीते साल चीनी के दाम ज्यादा रहे थे तो अपेक्षा के अनुरूप इस बार किसानों ने ज्यादा गन्ना लगाया है। 2 जुलाई 2010 तक 47.37 लाख हेक्टेयर में गन्ना लगाया जा चुका था, जबकि पिछले साल की इसी तारीख तक गन्ने का रकबा 41.79 लाख हेक्टेयर था। इस बार कपास का बोवाई क्षेत्रफल पिछले साल के 29.17 लाख हेक्टेयर से लगभग डेढ़ गुना 43.68 लाख हेक्टेयर है।