प्रधानमंत्री के पद पर बैठा कोई शख्स आर्थिक मसलों पर झूठ बोलने लग जाए तो तीन साल में भारत को दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित देश बनाने का संकल्प महज चुनावी झांसा व जुमला लगने लगता है। निवेश को ट्रैक करनेवाली फर्म प्रोजेक्ट्स टुडे के ताज़ा डेटा के मुताबिक मार्च में खत्म हुए वित्त वर्ष 2023-24 में भारत में निजी क्षेत्र का निवेश 15.3% घटा है। निजी क्षेत्र की निवेश योजनाओं में सबसे ज्यादा 40% की चौंकानेवाली कमी मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में आई है। यह 2022-23 में ₹19.85 लाख करोड़ हुआ करता था, जबकि 2023-24 में घटकर ₹11.9 लाख करोड़ रह गया। सरकारी दम पर चलनेवाले विद्युत व इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश क्रमशः 96% और 22% बढ़ा है। लेकिन दूसरी तरफ सिंचाई में निवेश 48.7% और खनन में 19.25% गिरा है। प्रोजेक्ट्स टुडे के सीईओ शशिकांत हेगडे कहते हैं कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में भी लम्बे खिंचे लोकसभा चुनावों के कारण निजी क्षेत्र का निवेश घट सकता है। ऐसे में नई सरकार का पहला दायित्व यह होगा कि पिछले दो सालों में ₹72.22 लाख करोड़ के जिन निवेश प्रकल्पों की घोषणा हुई है, उन्हें समय से पूरा कर लिया जाए। नहीं तो ग्रीन हाइड्रोजन, सेमी-कंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन, ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, जल व सौर ऊर्जा की तमाम बड़ी घोषणाएं हवा में अटक जाएंगी। अब मंगलवार की दृष्टि…
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