बाजार इस समय एकदम दुरुस्त चल रहा है और जो भी छोटी-मोटी समस्या है, वह किसी और चीज की वजह से नहीं, बल्कि रोलओवर के चलते पैदा हुई है। बाजार के यह हफ्ता काफी अहम है। रेल बजट और आर्थिक समीक्षा पर इसी हफ्ते आनी है। हमें इन पर कायदे से गौर करने की जरूरत है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच जेपीसी से कराने का मसला तो सुलझ ही चुका है। इसलिए संसद का गतिरोध खत्म हुआ समझो। वैसे तो शॉर्ट सेलर अब भी ज्यादा आक्रामक हैं, लेकिन समझदार निवेशकों ने यूनिटेक, आईडीबीआई व आईएफसीआई जैसे चुनिंदा स्टॉक्स को पकड़ना शुरू कर दिया है।
आम बजट में अब केवल पांच दिन और रोलओवर में केवल तीन दिन बचे हैं। मुझे नहीं लगता कि इस बार का शुक्रवार ज्यादा बुरा होगा। बल्कि बहुत मुमकिन है कि यह बाजार के चहकने का दिन बन जाए। सोमवार से बाजार की नई पारी शुरू होगी। अगर बजट बहुत निराशाजनक रहता है तो निफ्टी का गिरकर फिर से 5200 पर पहुंच जाना तय है। लेकिन अगर बजट में थोड़े भी अच्छे प्रावधान हुए तो बाजार बहुत तेजी से 6000 की तरफ दौड़ लगा देगा।
अगर सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी मुद्रास्फीति पर काबू पाने, भ्रष्टाचार को मिटाने और अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के बारे में संजीदा और कड़े कदम उठाती है तो अब इसमें उसका कोई नुकसान नहीं होनेवाला है क्योंकि जितना नुकसान होना था, हो चुका है। आगे जो भी होगा, बेहतर ही होगा।
फिलहाल मेरी सलाह है कि बाजार पर निगाह रखें और माकूल माहौल का इंतजार करें। इस बीच बहुत जरूरी हो, तभी ट्रेड करें। डेरिवेटिव सौदों में निफ्टी से निकलकर निवेश स्टॉक्स की तरह जाने लगा है। यही वजह है कि निफ्टी में शुरुआती कमजोरी दिखाई पड़ी है। निफ्टी मामूली गिरावट के साथ 5456.60 पर खुलने के बाद ऊपर में 5483.55 और नीचे में 5428.15 तक जा चुका है। फिलहाल 5443.75 पर है। हो सकता है कि दिन बढ़ने के साथ निफ्टी भी बढ़ जाए।
जब आपकी कल्पना का फोकस ही बिगड़ा हुआ हो, तब आंखें भी आपको साफ तस्वीर नहीं दिखा सकतीं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)