एनपीपीए (नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी) ने घरेलू कंपनियों को राहत देने के मकसद से 62 दवाओं के दाम बढ़ा दिए हैं। जिन दवाओं के दाम बढ़ाए गए हैं, उनमें ज्यादातर देश में निर्मित इंसुलिन हैं। साथ ही एनपीपीए ने पिछले सप्ताह हुई समीक्षा बैठक में 14 दवाओं के दाम घटाए दिए हैं, जबकि 21 दवाओं की कीमत जस की तस रखी गई है।
जिन दवाओं के दाम बढ़ाए गए हैं, उनमें से ज्यादातर का उपयोग डायबिटीज और टीबी के इलाज में किया जाता है। एनपीपीए के चेयरमैन एस एम झारवाल ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट से कहा, ‘‘हमें संतुलित कदम उठाने हैं और स्वदेशी कंपनियों को समान अवसर उपलब्ध कराना है। इंसुलिन के कुल घरेलू बाजार में घरेलू कंपनियों का योगदान करीब 10 फीसदी है।’’ बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि कीमत वृद्धि के बावजूद इन कंपनियों की दवा सस्ती रहेगी।
झारवाल ने कहा, ‘‘हालांकि घरेलू कंपनियों द्वारा निर्मित इंसुलित की कीमत में 5 से 18 फीसदी की वृद्धि की गयी है लेकिन इसके बावजूद यह आयातित इंसुलिन के मुकाबले करीब 15 फीसदी सस्ती होंगी।’’ फिलहाल, बायोकॉन और वोकहार्ड दो ही प्रमुख कंपनियां है जो बड़े पैमाने पर इंसुलिन बनाती हैं।
एनपीपीए की समीक्षा बैठक में डायबिटीज, एलर्जी, मलेरिया, डायरिया, अस्थमा और हाइपर टेंशन के साथ एंटीसेप्टिक दवाओं की कीमत की समीक्षा की गई। एनपीपीए ने कहा कि कच्चे माल के अलावा अन्य मदों में होने वाले खर्च में वृद्धि को देखते हुए कीमतें बढ़ानी जरूरी थी। कीमतों में संशोधन से प्रभावित होनेवाली कंपनियों में इली लिली, फाइजर, नोवार्तिस, सनोफी एवेन्टिस, जीएसके, बायोकॉन, वोकहार्ड, ल्यूपिन और सिप्ला शामिल हैं।