कपास से लेकर चीन तक के निर्यात पर मचे हॉचपॉच को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने खास-खास मंत्रियों की बैठक अगले सोमवार 30 अप्रैल को बुलाई है। इसमें कृषि मंत्री शरद पवार खाद्य मंत्री, खाद्य मंत्री के वी थॉमस, वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा और वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी शामिल होंगे।
यह जानकारी कृषि मंत्री शरद पवार ने आज, सोमवार को राजधानी दिल्ली में मीडिया को दी। उन्होंने कहा कि हमें कृषि उत्पादों के निर्यात पर व्यावहारिक फैसले लेने होंगे। मालूम हो कि भारत दुनिया में कृषि जिंसों के सबसे बड़े उत्पादकों व निर्यातकों में शामिल है। लेकिन पिछले दिनों जिस तरह कपास और चीन के निर्यात को लेकर कभी हां, कभी ना होती रही है, उससे सरकार का नीतिगत भ्रम और उसके भीतर चल रहा लॉबियों का खेल खुलकर सामने आ गया है।
शरद पवार इसमें खुद बड़ी लॉबी का प्रतिनिधित्व करते हैं। घरेलू बाजार में कीमतों की परवाह किए बगैर चीनी से लेकर अनाज तक के मुक्त आयात की कोशिश में लगे रहते हैं। कई बार उनके और खाद्य मंत्री के वी थॉमस के बीच टकराव की नौबत आ चुकी है। वहीं आनंद शर्मा तो घाघों के घाघ माने जाते हैं। कहा जाता है कि वे देश हित के हिसाब से नहीं, लॉबियों के दम के हिसाब से निर्यात नीतियों का फैसला करते हैं। इस खींचतान के बीच अगले सोमवार को प्रधानमत्री द्वारा बुलाई गई बैठक काफी अहम हो जाती है।
मालूम हो कि पवार ने बीते मार्च महीने के अंत में खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के तहत 10 लाख चीनी निर्यात करने का फैसला करवा लिया। लेकिन सरकार अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि इसमें मात्रा का बंटवारा कंपनियों के बीच में कैसे किया जाएगा। इसी तरह मार्च के शुरू में जब सरकार ने कपास के निर्यात पर रोक लगा दी तो पवार के फच्चर फंसा दिया कि इस बारे में उनसे राय क्यों नहीं ली गई।