क्लाउडिया गोल्डिन ने अमेरिका ही नहीं, दुनिया के सौ से ज्यादा देशों के डेटा के गहन विश्लेषण से ऐसे तथ्य निकाले हैं जिन्होंने महिलाओं की श्रम भागीदारी के बारे में सदियों से चले आ रहे मिथकों को तोड़ दिया। माना जाता था कि आर्थिक विकास व औद्योगिकीकरण से श्रम बाज़ार में महिलाओं का आना बढ़ता जाएगा। गोल्डिन ने बताया कि हकीकत यह है कि 19वीं सदी में औद्योगिकीकरण से पहले महिलाएं बाहर ज्यादा काम करती थीं। लेकिन बाद में घरों तक सिमटती गईं। पहले वे खेती के काम हिस्सा बंटाती थीं। उद्योग-धंधे बढ़े, टेक्नोलॉज़ी आई तो महिलाएं बाहर का काम छोड़ घरों में उतने ही घंटे काम करने लगीं। लेकिन इसका उनको कोई भुगतान नहीं मिलता। प्रोफेसर गोल्डिन ने गिनती की है कि अमेरिका में 1960 के बाद का 20-25% आर्थिक विकास इसलिए हुआ क्योंकि महिलाओं के रोज़गार, ट्रेनिंग व शिक्षा पर लगी बाधाएं कम कर दी गईं। श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी अपने-आप नहीं बढ़ती। इसके लिए परिवार से लेकर समाज, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं तक में सुधार लाना पड़ता है। महिलाओं की श्रम भागीदारी बढ़ाए बिना देश की अर्थव्यवस्था पूरी संभावना हासिल नहीं कर सकती। अब मंगलवार की दृष्टि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...