ब्रोकरों से लेकर शेयर बाज़ार के पंटरों, पण्डों, एनालिस्टों और रेटिंग एजेंसियों तक की फितरत बहती गंगा में हाथ धोने की है। वे ट्रेडरों व निवेशकों को उन्माद से निकालने के बजाय यही संदेश देते हैं कि चढ़ जा बेटा सूली पर, भला करेंगे राम। बढ़े हुए स्टॉक्स में ट्रेड करना रिटेल ट्रेडरों के लिए सुरक्षित रणनीति हो सकती है, लेकिन फूले हुए गुब्बारे में और हवा भरना अच्छा नहीं। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने बैंकिंग क्षेत्र की तारीफ करते हुए उसके भावी आउटलुट को बेहद पॉजिटिव बताया है। लेकिन हकीकत यह है कि जहां बीते वित्त वर्ष 202-23 में बैंकों द्वारा दिए गए उधार या क्रेडिट 15.9% बढ़े थे, वहीं इस साल 2023-24 में यह वृद्धि दर घटकर 13% से 13.5% रह सकती है। यही नहीं, क्रेडिट कार्ड सेगमेंट के सुरक्षित माने जानेवाले लोन भी परेशानी का सबब बन रहे हैं। इस सेगमेंट में बैंकों का एनपीए मार्च 2022 के अंत में 3122 करोड़ रुपए था, जो मार्च 2023 के अंत तक 30.46% बढ़कर 4073 करोड़ रुपए हो गया। बैंकों को आमजन से सस्ती डिपॉजिट कम मिल रही है क्योंकि लोगबाग अधिक रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंडों की एसआईपी में ज्यादा निवेश कर रहे हैं। जाहिर है कि बैंकों की डगर आगे कठिन होती जाएगी। अब शुक्रवार का अभ्यास…
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