सरकार ही आज़ाद, लौटा लाइसेंस राज!

आज़ादी का अमृतकाल। आज़ादी के 76 साल पूरे। लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगातार दसवीं बार देश को संबोधन। सरकार के पास संसद में बहुमत इतना कि जो चाहे कर सकती है। समूचे देश में वही पूरी तरह आज़ाद है। दस दिन पहले ही अचानक उसने फरमान जारी कर दिया कि देश में पीसी से लेकर लैपटॉप, पामटॉप, ऑटोमेटिक डेटा प्रोसेसिंग मशीन और माइक्रो व लार्जफ्रेम कंप्यूटर तक के आयात के लिए लाइसेंस लेना पड़ेगा। हर तरफ हल्ला मचा तो अगले ही दिन तीन महीने की मोहलत दे दी। लेकिन चिंता तो गहरा ही गई है कि कहीं देश से 1991 में जो लाइसेंस-परमिट राज खत्म कर दिया गया था, उसे वापस तो नहीं लाया जा रहा है? इस चिंता का आधार यह भी है कि मोदी जी ने 2014 का चुनाव जीतने से पहले कहा था कि वे देश में मिनिमम गवर्मेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस सुनिश्चित करेंगे। लेकिन पिछले नौ सालों में जीवन के हर क्षेत्र में सरकार का दखल बढ़ता ही गया है। यहां तक कि आईआईएम जैसे प्रोफेशनल संस्थानों तक की स्वायत्तता में सेंध लग चुकी है। अब सोमवार का व्योम…

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