अक्टूबर माह में सकल मुद्रास्फीति की दर उम्मीद से बदतर ही रही है। माना जा रहा था कि शायद इसमें कुछ कमी आएगी। लेकिन सोमवार को केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 9.73 फीसदी रही है। यह सितंबर में 9.72 फीसदी थी।
नोट करने की बात है कि लगातार पिछले ग्यारह महीनों से मुद्रास्फीति की दर नौ फीसदी से ज्यादा चल रही है। वह भी तब, जब रिजर्व बैंक मार्च 2010 के बाद के 20 महीनों के 13 बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है। वैसे, थोड़े से सुकून की बात यह है कि अक्टूबर 2011 में मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की मुद्रास्फीति दर 7.66 फीसदी रही है, जबकि एक महीने पहले सितंबर 2011 में यह 7.69 फीसदी थी। थोक मूल्य सूचकांक में मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों का योगदान 64.97 फीसदी है। शायद इसकी महंगाई में कमी को शुभ संकेत मानकर रिजर्व बैंक अब ब्याज दर बढ़ाने का सिलसिला रोक दे।
उधर इन आंकड़ों के जारी होने के बाद वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने भरोसा जताया है कि बेहतर मानसून से कृषि जिंसों के दाम घटेंगे। उन्होंने कहा कि लगभग 10 फीसदी पर पहुंच चुकी मुद्रास्फीति की मुख्य वजह खाद्य वस्तुओं के ऊंचे दाम हैं। आगे बेहतर मानसून का पूरा असर दिखाई देगा। साथ ही आपूर्ति में सुधार के लिए उठाए गए कदमों के भी नतीजे दिखाई देंगे।
वित्त मंत्री ने कहा अप्रैल से अक्टूबर के सात माह के दौरान ऊंची मुद्रास्फीति की मुख्य वजह खाद्य वस्तुओं की महंगाई है। इनकी कीमतों में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। मुखर्जी ने कहा कि प्राथमिक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट का फायदा खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमतों की वजह से नहीं दिखाई दे रहा है। उन्हांने कहा कि सरकार को खाद्य महंगाई से निपटने के लिए आपूर्ति संबंधी समस्या को दूर करना होगा। खाद्य मुद्रास्फीति की दर 29 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 11.81 फीसदी दर्ज की गई है।