ज्यों-ज्यों चुनावों का सूरज चढ़ता जा रहा है, झूठ व सब्ज़बाग की तपिश बढ़ती ही जा रही है। और, यह कोई दूसरा नहीं, बल्कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कर रहे हैं। काश! गरीबी घटाने से लेकर भ्रष्टाचार मिटाने और जन-जन की सेवा करने की उनकी बातों में थोड़ा भी सच होता तो लगता कि प्रचारक है तो प्रचार करना उसकी आदत है। लेकिन यहां तो प्रचार के शोर के पीछे राई भर भी सच खोजने पर नहीं मिलता। मोदी सरकार ने दस साल पहले प्रतिबद्धता जताई थी कि साल 2025 तक जीडीपी का 2.5% हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च करेंगे। इस साल के बजट में मार्च 2025 तक देश का जीडीपी ₹327.72 लाख करोड़ हो जाने का अनुमान है। इसका 2.5% हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च किया जाए तो इस मद में 8.19 लाख करोड़ खर्च किए जाने चाहिए। इसका 60% हिस्सा राज्यों को खर्च करना है और बाकी 40 खर्च केंद्र की प्रतिबद्धता है। इस हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य पर ₹3.28 लाख करोड़ का प्रावधान होना चाहिए था। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देखरेख मे बनाए गए अस बार के बजट में स्वास्थ्य पर कुल ₹90,171 करोड़ (वचनबद्धता का 27.5% या लगभग एक-चौथाई) का प्रावधान है! आखिर सब्ज़बाग दिखाकर अवाम को धोखा देने का क्या मतलब? अब शुक्रवार का अभ्यास…
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