आईएमएफ का आकलन है कि भारत साल 2030 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। साल 2027 में ही भारत का जीडीपी 5.43 ट्रिलियन डॉलर हो सकता है, जबकि जर्मनी 5.33 ट्रिलियन और जापान 4.57 ट्रिलियन डॉलर के साथ उससे पीछे चले जाएंगे। उधर, आईएमएफ का यह आकलन आया और इधर हर होनेवाली चीज़ का श्रेय लेने में माहिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे अपने तीसरे कार्यकाल की गारंटी घोषित कर दिया। लेकिन एक अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्था मैकेन्ज़ी का कहना है कि भारत में 2030 तक कृषि से बाहर 9 करोड़ नई नौकरियां पैदा करनी पड़ेंगी। मगर, मोदी जी इसकी कोई गारंटी देने को तैयार नहीं। कारण, उन्होंने साल 2014 में सत्ता में आने पर हर साल 2 करोड़ नौकरियां पैदा करने का जो वादा किया था, उसके हिसाब से अब तक के दस साल में 20 करोड़ नई नौकरियां पैदा हो जानी थीं। मगर, इस बाबत उसका रिकॉर्ड इतना खराब है कि सारा सरकारी अमला इस पर आंय-बांय-सांय करने लगता है। भारत में कामकाज़ी उम्र के मात्र 46.6% लोग काम कर रहे हैं, जबकि विकसित से लेकर तमाम उभरते देशों तक में यह अनुपात 70% या इससे अधिक है। भारत में यह आलम तब है जब काम करनेवाले आधे से ज्यादा स्वरोज़गार में लगे हैं और बिना भुगतान वाले पारिवारिक श्रम को भी रोज़गार में गिन लिया जाता है। अब मंगलवार की दृष्टि…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...