सटीक स्तर नहीं, सही दिशा से लाभ

अप्रैल माह का आखिरी दिन। गुरुवार था तो डेरिवेटिव सौदों की एक्सपायरी या सेटलमेंट का दिन। इसके विस्तृत आंकड़ों में वह तस्वीर छिपी है जो हमें ऑप्शन ट्रेडिंग की व्यावहारिक स्थिति, उसके विस्तार व महत्व से वाकिफ करा सकती है। इसलिए आज हम इन्हीं आंकडों की तह में पैठेंगे और अब तक हासिल की गई समझ की धार को थोड़ा तेज़ करने की कोशिश करेंगे।

एनएसई में कल गुरुवार, 30 अप्रैल को समूचे एफ एंड ओ (फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस) या डेरिवेटिव सेगमेंट का टर्नओवर 26,71,408.04 करोड़ रुपए था। इसमें से इंडेक्स ऑप्शंस का टर्नओवर 24,94,062.88 करोड़ रुपए था, यानी कुल टर्नओवर का 93.36 प्रतिशत। बाकी 6.64 प्रतिशत टर्नओवर में इंडेक्स फ्यूचर्स, स्टॉक फ्यूचर्स और स्टॉक ऑप्शंस तीनों के तीनों सिमट गए। इससे आप इंडेक्स ऑप्शंस की अहमियत को समझ सकते हैं। यह डेरिवेटिव सेगमेंट का वह हिस्सा है जहां लिक्विडिटी या तरलता की कोई समस्या नहीं। सौदा किया तो उसको पूरा करने में कभी कोई दिक्कत नहीं आएगी।

बाज़ार के सबसे बड़े खिलाड़ी विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की इस सेगमेंट में सक्रियता पर नज़र डालें तो 30 अप्रैल को उन्होंने कुल मिलाकर 2689.67 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद की। इसमें इंडेक्स फ्यूचर्स में 293.22 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली और इंडेक्स ऑप्शंस में 635.07 करोड़ रुपए, स्टॉक फ्यूचर्स में 2342.49 करोड़ रुपए व स्टॉक ऑप्शंस में 6.03 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद शामिल है। सोचिए कि बाज़ार के सबसे बड़े खिलाड़ी एफआईआई का योगदान डेरिवेटिव सेगमेंट में 0.10 प्रतिशत भी नहीं है। देशी संस्थाएं (डीआईआई) भी इसमें ज्यादा सक्रिय नहीं हैं। मतलब साफ है कि इस सेगमेंट के सबसे बड़ी खिलाड़ी स्थानीय ऑपरेटर या पुराने मंजे हुए धन्नासेठ हैं। अममून यही लोग ऑप्शन बेचते और आम ट्रेडर ऑप्शंस को खरीदा करते हैं।

इस पृष्ठभूमि के बाद अब नज़र डालते हैं इंडेक्स ऑप्शंस के एक्सपायरी या सेटलमेंट भाव पर। इक्विटी डेरिवेटिव्स के टॉप 20 सौदों में सारे के सारे इंडेक्स ऑप्शंस के सौदे हैं। इनमें से 12 सौदे बैंक निफ्टी के ऑप्शंस के है और बाकी आठ सौदे निफ्टी ऑप्शंस के। इससे साफ होता है कि इंडेक्स ऑप्शंस में बैंक निफ्टी और निफ्टी-50 के ही ऑप्शंस ज्यादा चलते हैं। गुरुवार, 30 अप्रैल 2020 को बैंक निफ्टी 21,534.50 और निफ्टी 9859.90 पर बंद हुआ है। यही वो सेटलमेंट या स्पॉट मूल्य हैं जिन पर सारे कॉल या पुट ऑप्शंस का लाभ जुड़ा हुआ है।

याद रखें कि मुनाफा उन्हीं ऑप्शंस में होता है जो इन द मनी या आईटीएम होते हैं। ऐट द मनी (एटीएम) और आउट ऑफ द मनी (ओटीएम) ऑप्शंस धारकों का सारा प्रीमियम डूब जाता है। कॉल ऑप्शंस में वे ऑप्शन आईटीएम होते हैं जिनका स्ट्राइक मूल्य सेटलमेंट या स्पॉट मूल्य से कम होता है। गुरुवार के अंतिम भावों पर नज़र डालें तो आ पाएंगे कि 21,500 के स्ट्राइक मूल्य वाले बैंक निफ्टी कॉल ऑप्शंस का भाव तो 33 रुपए रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि बैंक निफ्टी इससे थोड़ा ऊपर 21,534.50 रुपए पर बंद हुआ। लेकिन इससे ज्यादा स्ट्राइक मूल्य के सारे के सारे कॉल ऑप्शंस के भाव 0.05 रुपए, या 0.10 रुपए रुपए दर्ज हैं। लेकिन असल में इन सभी का भाव शून्य ही माना जाएगा। 0.05, 0.10, 0.20 या 0.30 रुपए दिखाना एनएसई की परम्परा, रवायत या रिवाज़ का एक हिस्सा है।

दूसरी तरफ, बैंक निफ्टी के पुट ऑप्शंस की बात करें तो बैंक निफ्टी के बंद भाव 21,534.50 से कम स्ट्राइक मूल्य के सारे के सारे पुट ऑप्शंस के भाव 0.05 रुपए या 0.10 रुपए हो गए हैं जिन्हें शून्य माना जाएगा। वहीं, बैंक निफ्टी के जिन कॉल ऑप्शंस का स्ट्राइक मूल्य उस दिन इस सूचकांक के बंद भाव 21,534.50 से जितना कम हैं, उनके भाव उतने ही ज्यादा बढ़ते गए हैं। मसलन. 21,400 के स्ट्राइक मूल्य वाले कॉल ऑप्शन का भाव 132 रुपए, जबकि 18,000 स्ट्राइक मूल्य वाले बैंक निफ्टी कॉल ऑप्शन का अंतिम भाव 3540 रुपए रहा है। बैंक निफ्टी के पुट ऑप्शंस में जिनका स्ट्राइक प्राइस उस दिन बैंक निफ्टी के सेटलमेंट मूल्य 21,534.50 से जितना ज्यादा है, उन पुट ऑप्शंस का भाव उतना ही ज्यादा है। मसलन, 21,600 के स्ट्राइक प्राइस वाले पुट ऑप्शन का अंतिम भाव 66.50 रुपए और 24,000 स्ट्राइक प्राइस के पुट ऑप्शन का भाव 2420.90 रुपए रहा है। कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन के अंर्तनिर्हित मूल्य से प्रीमियम को घटाने पर जितनी रकम बचेगी, वह ऑप्शन धारक का महीने भर का फायदा होगा।

यही नियम व क्रम निफ्टी ऑप्शंस के भावों में साफ झलकता है। उस दिन निफ्टी-50 का बंद भाव कैश सेगमेंट में 9859.90 रहा है। इससे कम स्ट्राइक मूल्य वाले सारे निफ्टी पुट ऑप्शन और ज्यादा स्ट्राइक प्राइस वाले कॉल ऑप्शंस के भाव शून्य (0.05 या 0.10 रुपए) हो गए हैं, जबकि ज्यादा स्ट्राइक मूल्य वाले सारे निफ्टी पुट ऑप्शन और कम स्ट्राइक प्राइस वाले कॉल ऑप्शंस के भाव बढ़ते गए हैं। लेकिन हम चाहे बैंक निफ्टी लें या निफ्टी-50 को लें, इनमें फायदा दिखने की स्थिति में भी स्ट्राइक प्राइस और भाव को जोड़ने या घटाने पर जो रकम निकलती है, उसमें दरअसल एक स्तर तक धारक को अपना अधिकार लेने पर भी कोई फायदा नहीं होता। इसलिए वह अपना अधिकार छोड़ देता है तो उसका सारा प्रीमियम ऑप्शन विक्रेता या राइटर के पास चला जाता है।

बाहर बैठे-बैठे ऊपर-ऊपर देखने से लगता है कि किसी ने महीने भर पहले सटीक अनुमान लगा लिया होता कि निफ्टी का सेटलमेंट भाव अप्रैल महीने में 9850 रुपए रहेगा और उसने उसका कॉल और पुट ऑप्शन दोनों ही खरीद लिया होता तो इतने सटीक अनुमान (निफ्टी 9859.90 पर बंद हुआ है) के बावजूद दोनों ही ऑप्शन पर उसका दिया हुआ प्रीमियम डूब गया होता और लाभ निट बटे सन्नाटा होता। इसलिए सटीक अनुमान का भ्रम तोड़ दें और यह समझें कि आपके कॉल ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस निफ्टी के सेटलमेंट भाव से काफी कम और पुट ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस निफ्टी के सेटलमेंट भाव से काफी ज्यादा होना चाहिए। तभी आप ऑप्शंस ट्रेडिंग से मुनाफा कमा पाएंगे। कायदे से कमाने के लिए ऑप्शंस के अंतर्निहित या इन्ट्रिंजिक मूल्य का यह फंडा समझना बेहद ज़रूरी है।

सोमवार को भी ऑप्शंस ट्रेडिंग को समझने का यह सिलसिला जारी रहेगा क्योंकि बाज़ार अभी तक अनिश्चितता के गहरे भंवर से निकल नहीं पाया है। इसलिए ट्रेडिंग शुरू करने का कोई औचित्य नहीं दिख रहा।

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