मौसम विभाग ने इस साल सामान्य मानसून रहने की भविष्यवाणी की है। मानसून की बारिश दीर्घावधि औसत की 98 फीसदी तक रह सकती है। हालांकि मध्य अप्रैल तक मौसम में नमी बने रहना और तापमान का नहीं बढ़ना देश में समय पर मानसून के आने में कुछ बाधा डाल सकता है।
एक संवाददाता सम्मेलन में मानसून में बाधा उत्पन्न होने के बारे में पूछे जाने पर मौसम विभाग के महानिदेशक अजीत त्यागी ने कहा, ‘‘अभी इस विषय पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन यदि कुछ समय ऐसा ही मौसम रहा तो कुछ प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि अभी अप्रैल है और गर्मी आएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने पहले ही भविष्यवाणी की थी कि इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में कम गर्मी पड़ेगी।’’ नमी भरे मौसम व अपेक्षाकृत कम तापमान के कारण मानसून प्रभावित होने से किसानों के समय पर बुवाई नहीं होने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर पृथ्वी विज्ञान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा, ‘‘इस साल सामान्य मानसून रहेगा। अभी जरूर गर्मी नहीं आई है लेकिन मई-जून में गर्मी पड़ेगी और बारिश होगी। मानसून आने पर किसान बुवाई करेंगे जिसके बारे में वैज्ञानिक आकलन सामान्य रहने की उम्मीद है।’’
उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर केरल में मानसून एक जून तक प्रवेश करता है और दिल्ली में इसका 29 जून को प्रवेश होता है। दक्षिण पश्चिम मानसून 2011 के आकलन को पेश करते हुए बंसल ने कहा कि जून से सितंबर तक देश में सामान्य मानसून रहेगा और बारिश दीर्घावधि औसत के 96 से 104 फीसदी तक रहने की उम्मीद है। गौरतलब है कि बारिश अगर दीर्घावधि औसत के 90 फीसदी से कम रहती है तो कम वर्षा की आशंका रहती है।
50 सालों की बारिश का औसत 89 सेंटीमीटर का है। मौसम विभाग के अनुसार सामान्य मानसून का मतलब है कि बारिश इसकी 96 से 104 फीसदी रहेगी। मौसम विभाग के महानिदेशक अजीत त्यागी ने कहा कि सामान्य से अधिक बारिश लानेवाला ला निनो इस बार उदासीन रहेगा। जब तक ला निनो का पैटर्न उदासीन या न्यूट्रल रहता है, तब तक चिंता की कोई बात नहीं है।
बता दें कि देश की 60 फीसदी खेती अब भी मानसून पर निर्भर है। इसलिए मानसून का कृषि उत्पादन पर बहुत असर पड़ता है। चूंकि कृषि उत्पादन से उद्योगों की खपत भी प्रभावित होती है, इसलिए इसका असर उद्योग समेत पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।