विदेशी मीडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरों को एकदम तवज्जो नहीं देता। विदेशी दौरों में मोदी-मोदी का शोर वही भीड़ लगाती है जिसे संघ व भाजपा का अंतरराष्ट्रीय तंत्र और भारतीय दूतावास खींचकर लाते हैं। अमेरिका से लेकर ब्रिटेन व फ्रांस तक का मुख्यधारा का मीडिया भारत में जो चल रहा है, उसकी जमकर निंदा करता रहता है। हालांकि सरकारों का एजेंडा एकदम अलग रहता है। कारण, किसी को राफेल जैसे हथियार बेचने हैं तो किसी को दूसरे माल-असबाब। दुनिया का कोई प्रमुख देश नहीं, जिसके साथ भारत का व्यापार सरप्लस हो। भारत कम निर्यात करता है और आयात ज्यादा। हमारी आयात निर्भरता बढ़ती जा रही है। मसलन, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने कनाडा से 3.13 अरब डॉलर का आयात किया था, जो 2022-23 में बढ़कर 4.05 अरब डॉलर हो गया। चीन के साथ तो हमारा व्यापार घाटा 83 अरब डॉलर का है जो देश के कुल व्यापार घाटे का 31.6% है। अपना माल बेचने के लिए दुनिया के तमाम देश भारत सरकार और उसके प्रधानमंत्री को गले लगाते रहते हैं। इसके पीछे उन देशों का स्वार्थ है, किसी नेता का करिश्मा नहीं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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