डेमोग्राफिक डिविडेंड की इतनी उपेक्षा!

व्यापक अवाम और विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही तमाम देशी-विदेशी अर्थशास्त्री तक कह रहे हैं कि इस समय भारत की सबसे विकट समस्या बेरोज़गारी है। लेकिन मोदी के नेतृत्व में चल रही एनडीए सरकार मानने को तैयार ही नहीं कि देश में बेरोज़गारी की कोई समस्या है। इसलिए अगले हफ्ते मंगलवार, 23 जुलाई को आ रहे आम बजट में हम इस समस्या को सुलझाने के सार्थक उपाय नहीं देख सकते। हो सकता है कि महाराष्ट्र सरकार ने युवा मतदाताओं को रिझाने के लिए जिस तरह की लाडला भाई योजना घोषित की है, जिसमें हर महीने 12वीं पास युवाओं को ₹6000, डिप्लोमा करनेवाले युवाओं को ₹8000 और ग्रेजुएट युवाओं को ₹10,000 रुपए दिए जाएंगे, उसी तरह की कोई योजना वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी घोषित कर दें। लेकिन इस तरह की रेवड़ी बांटने से उस डेमोग्राफिक डिविडेंड का कोई फायदा नहीं मिल सकता जिसके दम पर सारी दुनिया अमेरिका व चीन के बाद भारत को तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनने की भविष्यवाणी कर रही है। इस समस्या को सुलझाए बिना भारत को साल 2047 तक विकसित देश भी नहीं बनाया जा सकता है, जिसका सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब डेढ़ साल से भारतीय अवाम को दिखाए जा रहे हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…

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