मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ा नहीं, रोजगार कहां!

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन का यह मानना बेहद खतरनाक है कि सरकार बेरोज़गारी जैसी समस्या नहीं सुलझा सकती। अगर यही बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपा के किसी अन्य बड़े नेता ने कही होती तो राजनीतिक तूफान मच गया होता। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने तो नागेश्वरन के बयान के बाद कह ही दिया कि भाजपा को कुर्सी खाली कर देनी चाहिए, कांग्रेस के पास बेरोज़गारी के मसले को सुलझाने की ठोस योजना है जो उसके चुनाव घोषणा-पत्र में पेश की जाएगी। वैसे, नागेश्वरन सही कहते हैं कि बेरोज़गारी की समस्या सुलझाने के लिए केवल सरकार की तरफ देखने की बजाय उद्योग की भी अहमियत समझनी होगा। असल में कृषि से बाहर कायदे की नौकरियां मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में बन सकती हैं। लेकिन पिछले दस साल से बराबर हल्ला मचाने के बावजूद मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र बढ़ा क्यों नहीं? हमारे जीडीपी में उसका योगदान कृषि से भी कम 15-17% पर क्यों अटका हुआ है? प्रधानमंत्री ने तो इसे 25% तक पहुंचाने का दम भरा था! जिस तरह एमएसपी की कानूनी गारंटी का मतलब यह नहीं कि किसानों की सारी फसल सरकार खरीदे। उसी तरह सारी नौकरियां उसे नहीं देनीं। उसे तो बस रोजगार पैदा करनेवाली नीतियां बनानी हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…

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