पुराने का हिसाब नहीं, गारंटियां बेहिसाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी खासियत है कि जिस बात पर उनको घेरा जा सकता है, उसे ही वे अपना मुख्य प्रचार बना लेते हैं। 2014 से अब तक उन्होंने जो कहा, वो किया ही नहीं। अच्छे दिन नहीं आए, विदेश गया कालाधन नहीं आया, हर देशवासी के खाते में 15 लाख रुपए नहीं आए, हर साल दो करोड़ नौजवानों को रोज़गार नहीं मिला, 2022 तक किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई, नोटबंदी से न कालाधन खत्म हुआ, न आतंकवाद। फिर भी मोदी जी खुलेआम कहते हैं कि मोदी जो कहता है, वो करता है। अगर अयोध्या में राममंदिर बना और कश्मीर से धारा 370 हटी है तो यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दशकों पुराना एजेंडा था। इस एजेंडे पर भाजपा को लोकसभा में महज दो सीट और 7.4% वोट मिला करते थे। 2014 और 2019 के आम चुनावों में भारतीय मतदाता ने भाजपा को इस एजेंडे पर नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी के नारों व वादों के आधार पर भारी बहुमत दिया। लोग उनसे कुछ न पूछें, इसलिए मोदी ने ‘मोदी सरकार की गारंटी’ का पूरा प्रचार अभियान ही चला दिया। मजे की बात है कि इस प्रचार का पूरा खर्च भारत सरकार के खजाने यानी जनता के टैक्स और देश के ऋण से अदा किया जा रहा है। अब शुक्रवार का अभ्यास…

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