अमेरिका के डाउ जोंस सूचकांक मे 600 अंकों की भारी गिरावट ने आखिरकार भारत व एशिया में आई गिरावट की बराबरी कर दी। भारत का बाजार पिछले दस महीनों से गिर रहा था, जबकि डाउ जोंस खुद को मजबूती से 12300 पर टिकाए हुए था। लेकिन अब उसे असली झटका लग चुका है। असल में विकसित देशों को लौटकर गया धन अब वहां से निकलकर फिर से भारत उभरते बाजारों की तरफ बढ़ रहा है।
खैर, हमारे टेक्निकल एनालिस्ट लोग निफ्टी को 4850 पर देखना चाहते थे तो उनकी मुराद आज सुबह सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज में निफ्टी के फ्यूचर्स (SGXCNX) ने पूरी कर दी। उनकी तसल्ली के लिए इतना काफी है क्योंकि शायद इससे ज्यादा उनके नसीब में नही है। कल गोल्डमैन सैक्श ने भारतीय बाजार को अपग्रेड किया तो आज सीएलएसए ने भी भारत को अपग्रेड कर एक पायदान ऊपर बैठा दिया। सोना 26,020 रुपए प्रति दस ग्राम के ऊपरी सर्किट तक पहुंच गया है। यह सब चीजें क्या कहती हैं? यही कि बाजार में व्यग्रता भले ही न खत्म हुई हो, लेकिन यह खरीद का मौका है। अगली लहर का बांध अब खुलने लगा है।
वैसे, थोड़ी चौंकानेवाली बात लगती है कि 4 अगस्त को इटली में स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) के मिलान स्थित दफ्तर में पुलिस के छापे पड़े और 5 अगस्त को उसने अमेरिका को डाउनग्रेड कर दिया। 7 अगस्त को वॉरेन बफेट ने कहा कि वे अमेरिका के डाउनग्रेड को पचा नहीं पा रहे हैं तो एस एंड पी ने बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथावे को ही डाउनग्रेड कर दिया। रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा है कि वह भारत व मलयेशिया वगैरह को भी डाउनग्रेड कर सकती है।
ऐसा लगता है कि अमेरिका में भी भारत जैसी राजनीति सिर चढ़कर बोलने लगी है। इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि राष्ट्रपति बराक ओबामा के भाषण के बाद डाउ जोंस 600 अंक टूट गया। एक तरफ ओबामा व वॉरेन बफेट हैं और दूसरी तरफ कोई नहीं जानता कि कौन से समीकरण पक रहे हैं। इसका अंतिम परिणाम यह होगा कि मंदी से त्रस्त अमेरिका को तीसरी क्वांटिटेटिव ईजिंग (क्यूई-3) लानी पड़ेगी। नोट छापकर खर्च करने के इस सिलसिले के बाद फिर सारा मामला शांत…
अपने मुल्क की बात करें तो रिटेल निवेशक अभी तक बाजार से नदारद था। अब धीरे-धीरे आने लगा है। बहुत से विदेशी निवेशक भी भारत की सरहद में घुसने लगे हैं। भारतीय ऑपरेटरों ने भी अपना खरीद अभियान शुरू कर दिया है जिससे निफ्टी फौरन 5000 के ऊपर आ गया। नहीं तो आज सुबह निफ्टी 4946.45 तक गिर गया था। फिर उठने लगा तो दोपहर 12 से 1 के बीच 5167 तक चला गया। बंद हुआ है 5072.85 पर।
मुझे लगता है कि निफ्टी में 5000 के आसपास के स्तर पर बार-बार भारी खरीद का झोंका आएगा क्योंकि यह मूल मूल्यांकन की बनिस्बत 10 फीसदी सस्ता है। इस स्तर पर जो भी विदेशी निवेशक घुसेंगे, उन्हें सीधे-सीधे अगले तीन महीनों में 10 फीसदी का रिटर्न मिलेगा। ऊपर से भारतीय मुद्रा रुपए का 3 फीसदी बढ़ना। इस तरह इक्विटी निवेश पर कुल रिटर्न हो जाएगा 13 फीसदी। इतना रिटर्न तो बाहर के किसी भी वर्ग के निवेशक के लिए मस्त होता है।
आपको किस तरह के स्टॉक्स खरीदने हैं, इसका फैसला आप खुद कर सकते हैं। थोड़ी रिसर्च करनी पड़ेगी। पढ़ना-लिखना, ध्यान देना पड़ेगा। नोट यूं ही बिना मेहनत के हवा में नहीं बनते। मेरा मानना है कि बाजार हर गिरावट के बाद उठेगा। यह भी उम्मीद है कि भारत सरकार पेट्रोल के दाम घटाने जैसे कदम उठा सकती है। इससे निफ्टी बढ़कर 5300 से 5400 तक जा सकता है, जहां आप अपनी मुनाफावसूली कर सकते हैं।
सबसे बड़ा झूठ वो होता है जो हम खुद से बोलते हैं। यह भी सच है कि बाहर बोला गया झूठ एक दिन हमें खुद से भी झूठा बना देता है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)