दोपहर साढ़े बारह बजे तक सेंसेक्स जब दो सालों के न्यूनतम स्तर 15478.69 और निफ्टी 4640.95 तक जा गिरा तो हर तरफ कोहराम मच गया। गनीमत है कि उसके बाद स्थिति संभलने लगी और सेंसेक्स अंततः 2.27 फीसदी की गिरावट के साथ 15,699.97 और निफ्टी 2.20 फीसदी की गिरावट के साथ 4706.45 पर बंद हुआ। असल में सेंसेक्स आज सुबह खुला ही करीब-करीब 100 अंक गिरकर, जबकि इतनी कमजोर शुरुआत की कोई ठोस वजह नहीं थी। इसने एक बार फिर दिखा दिया कि बाजार पूरी तरह कुछ निहित स्वार्थों के हाथों में सिमटा हुआ है जो उन लोगों से पूरी कीमत वसूलना चाहते हैं जिन्होंने इस सेटलमेट में निफ्टी के 5400 तक पहुंचने की सोचकर लांग सौदे कर रखे हैं और चाहकर भी डिलीवरी की मांग नहीं कर सकते।
कहा जा रहा है कि जर्मनी, चीन व अमेरिका से आए आर्थिक धीमेपन के आंकड़ों ने भारतीय बाजार पर चोट की है। यह भी बाजार में विश्वास का संकट छाया हुआ है। संसद बेकार बहस का अड्डा भर रह गई है। सरकार की फैसले लेने की क्षमता कुंद हो गई है। लेकिन इनमें से कोई भी बात नई नहीं है। हां, रुपए का इस कदर धमक जाना जरूर अप्रत्याशित और नई बात है।
मेरा मानना है कि बाजार की हालत में सुधार तभी शुरू होगा जब रुपए में मजूबती आने लगेगी क्योंकि जो विदेशी निवेशक भारी पूंजी लाकर 50 फीसदी सस्ते (30 फीसदी गिरावट और रुपए में 20 फीसदी अवमूल्यन) में स्टॉक्स खरीदना चाहते हैं, वे इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि रुपए का गिरना थम जाए।
मुझे उम्मीद है कि वित्त मंत्री के उल्टा बोलने के बावजूद रिजर्व बैंक हस्तक्षेप करेगा और रुपया बहुत तेजी से मजूबती की राह पकड़ लेगा। इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं है। ब्याज दरों में भी कटौती होनी तय है। लेकिन हमारे थैलीशाहों को देश की कितनी फिक्र है, इसका ताजा सबूत है कि एक नामी कॉरपोरेट हाउस ने बड़ी मात्रा में बाजार से अमेरिकी डॉलर खरीदे हैं। उसकी इस हरकत ने साबित कर दिया कि देश की हालत महज दौलत के दम पर निजी फायदे के लिए कैसे बिगाड़ी जा सकती है। शेयर बाजार और कमोडिटी बाजार में तो नोटों के दम पर गदर काटना आम बात हो चुकी है।
रुपए के नई तलहटी पर पहुंचने से बहुत सारे स्टॉप लॉस ट्रिगर हो चुके हैं। अब जिन्होंने बड़ी मात्रा में अमेरिकी डॉलर खरीदने के वायदा सौदे किए हैं, वे उन्हें काटने के लिए आगे आएंगे। साथ ही एफआईआई डॉलर के बदले रुपए खरीदेंगे। इससे रुपया काफी तेजी से डॉलर के सापेक्ष 50 पर पहुंच जाएगा। परिणामस्वरूप, एफआईआई शेयर बाजार में खरीद को प्रेरित होंगे क्योंकि रुपए का दिशा पलटना ही उन्हें अच्छा रिटर्न दे जाएगा। जैसे कि मैं साफ कर चुका हूं कि स्टॉक्स पिछले दो महीने में विदेशी निवेशकों के लिए 50 फीसदी सस्ते हो चुके हैं। दूसरे शब्दों में उनके लिए निफ्टी 3000 पर पहुंच चुका है। इसलिए एफआईआई की खरीद का बढ़ना हर हाल में तय है।
मेरी राय अब भी यही है कि इक्विटी में निवेश बनाए रखें और सोने व रीयल्टी से इस वक्त बचें क्योंकि अगते तीन से छह महीनों में ये दोनों आपको पक्के तौर पर रुलाने जा रहे हैं। बाजार के बारे में मेरी रणनीति हमेशा मौके की नजाकत को समझ कर चलने की रही है। हालांकि यह अंदाज ट्रेडरों को रास नहीं आता। ट्रेडर लोग हमेशा बाजार पर सवारी गांठना चाहते हैं, जबकि निवेशक बाजार को जज्ब करना चाहते हैं। मेरी राय हमेशा ट्रेडरों के बजाय निवेशकों की मदद करती रही है। खैर, धीरज धरें। रोलओवर के चलते बाजार में तकलीफ का दौर अभी दो दिन और चलेगा और इसे हमें झेलना ही पड़ेगा।
हर दिन जगने के साथ नए जीवन की शुरुआत। बाजार आज हमें यही तो सिखा गया कि हर दिन को नया जीवन समझना चाहिए।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)