सितंबर में जीएसटी संग्रह 40 महीनों की न्यूनतम दर 6.5% से बढ़कर ₹1.73 लाख करोड़ पर पहुंचा तो सरकार बड़ी मायूस थी। अब अक्टूबर में 8.9% बढ़कर ₹1.87 लाख करोड़ हो गया तो बड़ी गदगद है। यह जुलाई 2017 में जीएसटी के लागू होने के बाद की दूसरी सबसे बड़ी वसूली है। अप्रैल 2014 में सबसे ज्यादा ₹2.10 लाख करोड़ का जीएसटी जमा हुआ था। लेकिन ज्यादा जीएसटी पर चहकना सरकार की उसी तरह की क्रूरता है जैसे कोई जोंक या मच्छर बोले कि उसने इंसानों का इतना खून चूस लिया। दरअसल, जीएसटी में सेवा-प्रदाता व निर्माता से लेकर थोक व रिटेल व्यापारी तक हर कड़ी को जीएसटी का क्रेडिट मिल जाता है। यह कड़ी अंतिम उपभोक्ता पर खत्म होती है जो सारे का सारा जीएसटी देता है। बेरोज़गारी, घटती आमदनी व बढ़ती महंगाई से जूझते अवाम से ज्यादा जीएसटी वसूल लेना सरकार की निर्लज्जता है। ऊपर से जीएसटी के तंत्र में इतने झोल हैं कि 2017 से लेकर अब तक कुल ₹4,34,375 करोड़ के जीएसटी फ्रॉड हो चुके हैं और हर साल ये दोगुने होते गए। वित्त वर्ष 2021-22 में ₹50,325 करोड़, 2022-23 में ₹1,01,354 करोड़ और 2023-24 में ₹2,01,851 करोड़ के फ्रॉड। ये डेटा सरकारी है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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