गिरावट का आखिरी दौर अब निपट रहा है। इसके बाद निफ्टी कभी भी 5000 का स्तर नहीं छू सकता है। अब निफ्टी के 7000 तक पहुंचने की यात्रा शुरू हो चुकी है। अभी की गिरावट की बडी वजह रोलओवर है। क्या करें रोलओवर की अपनी अहमियत है और उससे गुजरने की अपनी तकलीफ भी।
सब पाने के चक्कर में कुछ भी नहीं मिलता। इसलिए मेरा कहना है कि हमें बी ग्रुप के शेयरों पर केंद्रित करना चाहिए क्योंकि 15 जुलाई 2010 से इस ग्रुप के शेयरों में बाजार से अच्छे पैसे बनाने के मौके मिलेंगे। पुराने दिन लौट रहे हैं। वोल्यूम फिर से बढ़ेंगे। जो समझदार हैं, वे इस मौके को पहचानेंगे और अपना कैश इक्विटी में लगाना शुरू कर देंगे। जिनको यह विकल्प अपनाने में भय लगता है वे अपने सवाल मुफ्त सलाह के लिए chamatcar@chamatcar.com पर भेज सकते हैं। यह ऑफर केवल इस शनिवार तक के लिए है। सीएनआई रिसर्च की पूरी टीम शनिवार को आपके सवालों का जवाब देगी।
आरडीबी इंडस्ट्रीज अब केवल आरडीबी सिगरेट बनकर गई है और उसके पास 200 करोड़ सिगरेट स्टिक बनाने का लाइसेंस है। इस उद्योग में केवल तीन लिस्टेड कंपनियां हैं। आईटीसी जिसका बाजार पूंजीकरण (कुल शेयरों और शेयर के मूल्य का गुणनफल) 1 लाख करोड़ रुपए है। गॉडफ्रे फिलिप्स जिसका बाजार पूंजीकरण 2000 करोड़ रुपए है और आरडीबी सिगरेट जिसका बाजार पूंजीकरण 80 करोड़ रुपए है। इस तरह इस उद्योग में सबसे सस्ता स्टॉक आरडीबी का है।
इसमें कोई शक नहीं कि प्रबंधन की गुणवत्ता बड़ा मसला है। फिर भी इसके लाइसेंस की कीमत 250 करोड़ रुपए से कम नहीं है। आईटीसी चार साल पहले इसको 250 करोड़ रुपए का ऑफर दे चुकी है। जापान टोबैको इंटरनेशनल (जेटीआई) जब भारत में घुसने की कोशिश में थी, तब उससे लाइसेंस के लिए कम से कम 475 करोड़ रुपए मांगे गए थे। अभी इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मनाही है। इसलिए बहुत से प्रमुख खिलाड़ी आरडीबी सिगरेट में घुसने की कोशिश करेंगे। फिलहाल कंपनी ने अपने सिगरेट संयंत्र को दुरुस्त करने के लिए आईटीसी के एक पूर्व अधिकारी को नियुक्त किया है। इस काम पर वह करीब 60 करोड़ रुपए की पूंजी खर्च करेगी, जबकि उसका मार्केट कैप (बाजार पूंजीकरण) अभी केवल 80 करोड़ रुपए है।
इस शेयर का मूल्य आखिरकार क्या होगा, यह तो केवल वक्त ही बताएगा। लेकिन इतना तय मानिए कि आज बीएसई के सर्किट फिल्टर हटा लेने के बाद इसमे जिस तरह की हलचल हुई है, उसने साफ कर दिया है कि यह स्टॉक बेहद मजबूत हाथों में है। बीएसई ने कहा था कि उसने सर्किट फिल्टर इसलिए हटाया ताकि बाजार इस शेयर का सही मूल्यांकन कर सके। लेकिन उसकी मंशा पर सवालिया निशान इसलिए लग जाता है कि जब आरडीबी इंडस्ट्रीज को 20 फीसदी सर्किट ब्रेकर से इसी साल दो बार ट्रेड फॉर ट्रेड श्रेणी में डाला गया था, तब इस तरह बाजार मूल्यांकन की बात क्यों नही की गई थी?
निवेशक आमतौर पर रिसर्च को कम आंकने की सीधी-साधी गलती कर बैठते हैं और वोल्यूम के पीछे भागते हैं। ऐसी सूरत में वे अगर गलत शेयरों का चुनाव कर लेते हैं तो गलती उन्हीं की है। आप रिसर्च को पर्याप्त महत्व दें और ऐसे मजबूत शेयरों को आप तब खरीद लें, जब बाजार उन्हें अनदेखा कर रहा हो। इस तरह आप ऐसे शेयरों को टॉप श्रेणी में पहुंचा देंगे। इतना तय है कि अभी का वक्त रिलैक्स करने का नहीं है।
कितनी अजीब बात है कि जब आपको सबसे ज्यादा रिलैक्स करने की जरूरत होती है, तब आपके पास इसके लिए समय ही नहीं होता।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है । लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)