एक तरफ देश के आमजन पर कर्ज और देनदारियों का बोझ बढ़ रहा है। दूसरी तरफ उनकी वित्तीय आस्तियां घटती जा रही हैं। नतीजा यह है कि बीते वित्त वर्ष 2022-23 में आमजन या हाउसहोल्ड की शुद्ध बचत 47 सालों के न्यूनतम स्तर जीडीपी के 5.1% पर आ गई। साल भर पहले 2021-22 में यह जीडीपी की 7.2% हुआ करती थी। यह सच रिजर्व बैंक ने सितंबर 2023 की मासिक बुलेटिन में उजागर किया है। लेकिन वित्त मंत्रालय ने किसी भी तरह के संकट से इनकार करते हुए कहा है कि लोगबाग अलग-अलग वित्तीय उत्पादों में निवेश कर रहे हैं, इसलिए हाउसहोल्ड बचत कम दिख रही है। वित्त मंत्रालय को पता होना चाहिए कि रिजर्व बैंक म्यूचुअल फंड से लेकर इक्विटी, बीमा व बैंक जमा जैसी हर बचत को जोड़कर वित्तीय आस्तियां निकालता है और उसमें से वित्तीय देनदारियों को घटाने के बाद आमजन की शुद्ध वित्तीय बचत या आस्तियों का हिसाब करता है। आमजन की शुद्ध वित्तीय बचत वित्त वर्ष 2021-22 में 16,96,155.60 करोड़ रुपए थी। यह 2022-23 में घटकर 13,76,873.50 करोड़ रुपए रह गई है। जीडीपी के हिस्से के रूप में छोड़िए, सीधे-सीधे साल भर में आई 18.82% की इस कमी को हमारी सरकार कैसे नकार सकती है? अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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