जिस कृषि ने कोरोनाकाल तक में देश की अर्थव्यवस्था को बचा लिया और जिस पर अब भी हमारी लगभग 60% आबादी निर्भर है, उसकी विकास दर सितंबर 2023 की तिमाही में घटकर 1.2% पर आ गई है। यह 18 तिमाहियों यानी साढ़े चार साल की न्यूनतम दर है। इससे देश की कृषि और किसानों के ताज़ा हाल का पता चलता है। स्पष्ट तौर पर इससे ग्रामीण इलाकों में मांग पर नकारात्मक असर पड़ेगा जो अभी से हिंदुस्तान यूनिलीवर और डाबर जैसी एफएमसीजी कंपनियों की ठहरी या घटती बिक्री में देखा जा सकता है। साथ ही हमारी अर्थव्यवस्था में लगभग 60% का योगदान करनेवाले सेवा क्षेत्र की भी हालत सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पतली है। सितंबर तिमाही में सेवा क्षेत्र महज 5.8% बढ़ा है। यह छह तिमाहियों यानी ढाई साल की सबसे कम विकास दर है। इसमें भी व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार व ब्रॉडकास्ट सेवाओं की विकास दर 4.3% है, जबकि पिछली तिमाही में यह 9.2% और साल भर पहले 15.6% रही थी। वित्तीय, रीयल एस्टेट व प्रोफेशनल सेवाएं इस बार 6% बढ़ी हैं, जबकि पिछली तिमाही में 12.2% और साल भर पहले 7.1% बढ़ी थीं। सीधी-सी बात है कि जब कृषि व सेवा क्षेत्र में सुस्ती हो तो जीडीपी में दिख रही चमक बेमानी हो जाती है। अब बुधवार की बुद्धि…
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