कई महीनों की अनिश्चितता के बाद सरकार ने नए राष्ट्रीय खुफिया तंत्र, नेशनल ग्रिड (नेटग्रिड) को प्रारंभिक मंजूरी दे दी है। नेटग्रिड गृहमंत्री पी चिदंबरम के दिमाग की उपज है और वित्त मंत्रालय व रक्षा मंत्रालय इसका विरोध करते रहे हैं। गृह मंत्रालय का दावा है कि इससे आतंकवादी खतरों के खिलाफ कार्यरत एजेंसियों को जरूरी सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में आसानी हो जागी।
सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति (सीसीएस) की बैठक में नेटग्रिड परियोजना को हरी झंडी दी गई। नेटग्रिड को रेलवे व हवाई यात्रा, आय कर, बैंक खातों, क्रेडिट कार्ड से लेनदेन, वीसा और आव्रजन के रिकॉर्ड सहित 21 श्रेणी के डाटाबेस तक पंहुच मिलेगी। शुरूआती योजना के तहत नेटग्रिड के डाटाबेस तक 11 एजेंसियों की पंहुच होगी। इनमें सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय जैसी विभिन्न केन्द्रीय एजेंसियां शामिल है।
सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया, सीसीएस ने इस महत्वपूर्ण परियोजना को सिद्धांत: मंजूरी दे दी है और गृह मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह इस फैसले के अनुरूप आगे की कार्रवाई करे। इस परियोजना के अस्तित्व में आ जाने पर सुरक्षा और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को बहुमूल्य सूचनाएं मिल सकेंगी और आतंकवाद से निपटने में आसानी होगी। मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए घातक आतंकी हमले के बाद नेटग्रिड स्थापित करने का विचार आया था।