सब कुछ नकली, सब कुछ फर्जी, सब कुछ झूठ। केवल दिखावा और अतिरंजना। हांकने व फेंकने की सारी की सारी सीमाएं पार। छिलके उतारते जाओ तो अंदर से सब खोखला। बाकी बातों पर तो शक व संदेह की गुंजाइश है। लेकिन शायद ही किसी को कोई संदेह हो कि मोदीराज के दस साल में शेयर बाज़ार की तेज़ी ने सबको पीछे छोड़ दिया है। गुजरात के अमित शाह व विजय रूपाणी जैसे शेयर ब्रोकरों की पार्टी को तेज़ी में कोई मात नहीं दे सकता। लेकिन आप जानकर चौंक जाएंगे कि यह भी सरासर झूठी धारणा है। डेटा इसकी तस्दीक करता है। मोदीराज के दस साल में भारतीय शेयर बाज़ार ने जितना रिटर्न दिया है, उससे 36.24% ज्यादा रिटर्न मनमोहन सिंह के दस साल के शासन में मिला था। मोदीराज में वित्त वर्ष 2014-15 से 2023-24 तक के दस साल में निफ्टी-50 सूचकांक 232.19% बढ़ा है। 1 अप्रैल 2014 को यह 6721.05 अंक था और 28 मार्च 2024 को 22,326.90 अंक। इसका सालाना चक्रवृद्धि रिटर्न 12.76% निकलता है। वहीं, मनमोहन सरकार के दस साल में निफ्टी-50 सूचकांक का कुल रिटर्न 268.43% और सालाना चक्रवृद्धि रिटर्न 13.93% रहा है। 1 अप्रैल 2004 को यह सूचकांक 1819.65 अंक था और 31 मार्च 2014 को 6704.20 अंक। अब सोमवार का व्योम…
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