ऑप्शंस ग्रीक हैं किस बात के प्रतीक!

ऑप्शन एक तरह के डेरिवेटिव हैं जो अपने से जुड़ी आस्ति की छाया हैं। साफ है कि काया बदलेगी या दिन का समय बदलेगा तो छाया का आकार-प्रकार अपने-आप ही बदल जाएगा। इसलिए आस्ति में जो भी तब्दीली होगी, उसके भाव में जो अंतर आएगा, वोलैटिलिटी में जो परिवर्तन आएगा, उससे ऑप्शन का भाव निश्चित रूप से प्रभावित होगा। कौन-से कैसे बदलाव का क्या कैसा प्रभाव ऑप्शन के भावों पर पड़ता है, इसका पता ग्रीक प्रतीकों से लगाया जाता है। ये ग्रीक प्रतीक हैं – डेल्टा, थीटा, गामा, वेगा, रौ, लेम्डा वगैरह-वगैरह। इनमें हर प्रतीक या ग्रीक के साथ एक संख्या जुड़ी होती है जो बताती है कि किसी ऑप्शन के भाव या उस ऑप्शन के साथ जुड़ा रिस्क कैसे बदलता है। इन सबकी गणना ऑप्शन प्राइसिंग मॉडल के आधार पर की जाती है।

हर ग्रीक की मात्रा या मूल्य समय के साथ बदलता रहता है। इसलिए कुशल ऑप्शन ट्रेडर हर दिन इनकी गणना करता है ताकि वह अंदाज लगा सके कि ऐसे कौन-से बदलाव हैं जो उसकी पोजिशन या नजरिए को प्रभावित कर सकते है अथवा उसे अपने पोर्टफोलियो को संतुलित करने की कितनी ज़रूरत है। अब हम ऑप्शन प्राइसिंग के ब्लैक-शोल्स मॉडल को आधार बनाकर इन ग्रीक प्रतीकों को एक-एक कर समझते हैं।

पहले ब्लैक-शोल्स फॉर्मूला की एक झलक देख लेते हैं। उसके बाद ग्रीक प्रतीकों का मतलब जानेगे।

डेल्टा Delta (Δ): डेल्टा यह दर्शाता है कि स्टॉक का मूल्य बदलने पर ऑप्शन का मूल्य कैसे बदलता है। इसे स्टॉक के मूल्य के संदर्भ में ऑप्शन मूल्य के पहले डेरिवेटिव के रूप मे परिभाषित किया जाता है। कॉल ऑप्शंस के लिए डेल्टा की मात्रा 0 से 1 के बीच होती है, वहीं पुट ऑप्शंस के लिए यह -1 से 0 के बीच होती है। डेल्टा यह दिखाता है कि स्टॉक के मूल्य के सापेक्ष ऑप्शन का भाव कितना बदलता है। मान लीजिए कि किसी कॉल ऑप्शन का डेल्टा 0.50 तो इसका मतलब होगा कि अगर स्टॉक का भाव 1 रुपए बढ़ता है तो उस ऑप्शन का भाव 0.50 रुपए बढ़ जाएगा। अगर कॉल ऑप्शन अच्छा-खासा इन द मनी (आईटीएम) है यानी उसका स्ट्राइक मूल्य स्टॉक के बाज़ार मूल्य के काफी कम है तो उसका डेल्टा ज्यादा होता है। वहीं, अगर वह एट द मनी (एटीएम) या आउट ऑफ द मनी (ओटीएम) है तो उसका डेल्टा काफी कम होता है क्योंकि जब उसका प्रीमियम डूबने की आशंका ज्यादा है तो कोई उसका पुछत्तर क्यों होगा!

थीटा Theta (Θ): थीटा किसी ऑप्शन के भाव में समय के साथ होनेवाले बदलाव या उसकी समय संवेदनशीलता को दिखाता है। इसे ऑप्शन का समय-क्षरण या time decay भी कहते हैं। थीटा दर्शाता है कि अब बाकी चीजें जस की तस रहीं तो एक्सपायरी का समय नजदीक आने या घटने के साथ ऑप्शन का मूल्य कितना घटेगा। मान लीजिए कि किसी ऑप्शन का थीटा -0.50 है तो हर दिन बीतने के साथ उसका भाव 0.50 रुपए घटता जाएगा।

जब कोई ऑप्शन आईटीएम होता है तो उसका थीटा बढ़ता है। वहीं, जब ऑप्शन ओटीएम होता है तो उसका थीटा घटता है। एक्सपायरी के नजदीक पहुंचने पर ऑप्शन का थीटा तेजी से घटता है। बेचे गए कॉल और पुट ऑप्शन का थीटा धनात्मक होता है, जबकि खरीदे गए कॉल व पुट ऑप्शन का थीटा ऋणात्मक होता है। कोई प्रपत्र जिसका भाव समय के साथ नहीं बदलता, उसका थीटा शून्य (0) होता है।

गामा Gamma (Γ): गामा किसी ऑप्शन के डेल्टा और उसके स्टॉक के भाव के हो रहे बदलाव की दर को दर्शाता है। इसे स्टॉक के मूल्य के संदर्भ में ऑप्शन मूल्य के दूसरे डेरिवेटिव या स्टॉक के मूल्य के संदर्भ में डेल्टा के पहले डेरिवेटिव के रूप में परिभाषित किया जाता है। गामा यह दिखाता है कि अगर स्टॉक का मूल्य 1 रुपए बदलता है तो डेल्टा में कितना अंतर आएगा। मसलन, किसी स्टॉक के कॉल ऑप्शन का डेल्टा 0.50 और गामा 0.10 है तो इसका मतलब होगा कि स्टॉक का मूल्य 1 रुपए बढ़ता या घटता है तो उसके कॉल ऑप्शन का डेल्टा 01.0 रुपए बढ़ या घट जाएगा।

गामा का उपयोग यह देखने में किया जाता है कि किसी ऑप्शन का डेल्टी कितना स्थिर है। अगर गामा ज्यादा है तो यह दिखाता है कि स्टॉक के भाव के संदर्भ में उसके ऑप्शन का डेल्टा ज्यादा तेज़ी से बदल सकता है। जो ऑप्शन एटीएम होता है, उसका गामा अधिक होता है, जबकि आईटीएम और ओटीएम ऑप्शन के लिए गामा कम होता है। एक्सपायरी की तारीख नजदीक आने के साथ ऑप्शन का गामा बढ़ता जाता है। एक्सपायरी जितनी दूर है, उसके ऑप्शन पर डेल्टा में बदलाव का उतना कम असर होता है। इसलिए तब उसका गामा कम होता है।

वेगा Vega (v): वेगा किसी ऑप्शन के भाव और स्टॉक की इम्प्लायड वोलैटिलिटी के बीच बदलाव की दर को दिखाता है। यह वोलैटिलिटी के प्रति ऑप्शन की संवेदनशीलता का प्रदर्शित करता है। यह बताता है कि अगर किसी स्टॉक या इंडेक्स की इम्प्लायड वोलैटिलिटी 1% बदल जाए तो उसके ऑप्शन का भाव कितना बदल जाएगा। अगर किसी ऑप्शन का वेगा 0.10 है तो इसका मतलब होगा कि संबंधिक स्टॉक या इंडेक्स की इम्प्लायड वोलैटिलिटी 1% बदलने पर उसके ऑप्शन का भाव 0.10 रुपए बदल जाएगा।

वोलैटिलिटी बढ़ने पर स्टॉक का मूल्य काफी ऊपर-नीचे होने लगता है तो इसका सीधा असर यह है कि उसके ऑप्शन का भाव बढ़ जाता ग। वहीं वोलैटिलिटी घटने पर स्टॉक के ऑप्शन का भाव भी घट जाता है। वेगा उन एटीएम ऑप्शंस में अधिकतम होता जिनकी एक्सपायरी में काफी समय बचा होता है।

रौ Rho (p): रौ यह दिखाता है कि ब्याज दर में 1% बदलाव आने पर ऑप्शन का भाव कितना बदल सकता है। यह ब्याज दरों के प्रति ऑप्शन के भावों की संवेदनशीलता को दर्शाता है। मान लीजिए कि किसी कॉल ऑप्शन का रौ 0.05 और उसका भाव 12.55 रुपए है तो ब्याज दर 1% बढ़ने पर उसका भाव बढ़कर 12.60 रुपए हो जाएगा। वहीं ऐसा होने पर पुट ऑप्शन के मामले में उसका भाव घटकर 12.50 रुपए रह जाएगा। वेगा की तरह रौ भी उन ऐट द मनी (एटीएम) ऑप्शंस में अधिकतम होता जिनकी एक्सपायरी में काफी समय बचा होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *