म्यूचुअल फंड से लेकर बैंक, बीमा कंपनियां और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) तक अपने धन पर नहीं, दूसरों के धन पर धंधा करते हैं। दूसरों को जब तक ज्यादा कमाकर देते हैं, तब तक वे उनके साथ बने रहते हैं। नहीं तो छोड़कर कहीं और चले जाते हैं। सभी देशी-विदेशी निवेशक संस्थाएं सिस्टम बनाकर चलती हैं और अमूमन उनका धंधा बराबर बढ़ता ही रहता है। कमाल की बात यह है कि बाज़ार गिरता है, तब भी उनके बढ़ने के ही ख्वाब दिखाती है क्योंकि तभी निवेशक उनके पास आते हैं। मसलन, पिछले चार ट्रेडिंग सत्रों में सेंसेक्स 1000 अंक से ज्यादा गिर गया। फिर भी मॉरगन स्टैनली भारत को चढ़ाने की रिपोर्ट जारी करता है। संस्थाएं डेरिवेटिव ट्रेडिंग और इसमें भी शॉर्ट सेलिंग केवल हेजिंग के लिए करती हैं। वे केवल बाज़ार बढ़ने पर कमाती हैं। रिटेल ट्रेडर को भी यही रणनीति अपनानी चाहिए। उन्हें एफ एंड ओ सौदों को हाथ तक नहीं लगाना चाहिए। साथ ही जिस दिन दुनिया भर के बाज़ारों के असर से अपने बाज़ार में भी गिरावट की भरपूर आशंका है तो ट्रेड न करके बाज़ार का तमाशा दूर से देखना चाहिए। अब सोमवार का व्योम…
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