रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) में आई करीब तीन फीसदी की गिरावट ने बाजार को थोड़ा दबाकर रख दिया। फिर भी चुनिंदा स्टॉक्स, खासकर बी ग्रुप के स्टॉक्स में बढ़त जारी है। गौर करने की बात यह है कि पिछले छह महीनों में दो चीजें हुई हैं। एक, जो प्रवर्तक ऊंचे मूल्यों पर भी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने को तैयार नहीं थे, उन्हें अब समझ में आ गया है कि फंड जुटाने का सबसे सस्ता व अच्छा तरीका है इक्विटी को बेच देना। लगता है कि यह समझ शेयरों को बंधक रखने और मार्जिन कॉल्स के दबाव के चलते आई है। दूसरी चीज यह है कि म्यूचुअल फंडों से लेकर विदेशी कंपनियों तक को भी समझ में आ गया है कि वे भारतीय कंपनियों को और ज्यादा नहीं निचोड़ सकते और अगर बाजार बढ़ता है तो शायद ये कंपनियां अपनी हिस्सेदारी बेचने से कतराने लगेंगी।
यह प्रवृत्ति तमाम स्टॉक्स में देखी जा रही है जिनमें केवल एक चर्चा है और वह है हिस्सेदारी बेचने की। ऐसी चर्चाओं के मुताबिक गुडईयर 407 (मौजूदा भाव – 323.30) रुपए पर, टिमकेन इंडिया 300 (मौजूदा भाव – 213.30) रुपए पर, गति 90 (मौजूदा भाव – 73.33) रुपए पर, डेल्टा कॉर्प 110 (मौजूदा भाव – 97.15) रुपए पर और केन्नामेटल 1000 (मौजूदा भाव – 613) रुपए पर हिस्सेदारी बेच रही हैं। इस कड़ी में और भी कई नाम शामिल हैं। कुछ और भी सौदों पर काम चल रहा है, जिसमें कनोरिया केमिकल्स की तरह पूरी डिवीजन ही बेची जा रही हैं। निवेश बैंकर इन सौदों में व्यस्त चल रहे हैं। अंदर के लोगों को भी बाजार में खेलने की भरपूर सामग्री मिल रही है। एक तरह की इनसाइडर ट्रेडिंग चल रही है। फिर भी प्रत्यक्ष रूप से इनसाइडर ट्रेडिंग नहीं है।
खैर, अगले तीन दिन रोलओवर के दिन हैं। बाजार आज दिन भर लहरों की तरह चला। निफ्टी सुबह गिरकर खुला। फिर 5900 के ऊपर चला गया। फिर गिरा। फिर उठा। आखिर में 5874.50 पर बंद हुआ। उसकी इस चाल को देखकर हमने भी निफ्टी में अपनी बिक्री की कॉल हटा ली है। हाल-फिलहाल बाजार के ज्यादातर कारोबारी निफ्टी में शॉर्ट हैं और वे तब तक ऐसे ही रहेंगे जब तक निफ्टी निर्णायक रूप से 5950 और फिर 6030 व 6180 के पार नहीं चला जाता। इसलिए मंदड़िये 6180 तक शायद अपने सौदे न काटें। और, फिर वे शॉर्ट कवरिंग शुरू करेंगे तो निफ्टी को 6500 तक ले जाएंगे। मेरे हिसाब से ऐसा जून या जुलाई में हो जाना चाहिए।
मैं टाटा स्टील, आईडीबीआई बैंक, रैनबैक्सी, जेट एयरवेज और आइडिया में बढ़ने की उम्मीद के साथ खरीदने या लांग रहने की सलाह दूंगा। सेसा गोवा के बारे में बाजार को उम्मीद थी कि वह 1300 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हासिल करेगी। लेकिन हकीकत में समेकित आधार पर उसका शुद्ध लाभ 1461.76 करोड़ रुपए रहा है। आप समझ सकते हैं कि इससे बालासोर जैसी अन्य आइरन ओर कंपनियों को कितनी ज्यादा मदद मिल जाएगी। यह आइरन ओर सेक्टर में रैली या तेजी का आगाज है जो अगले तीन सालों तक चलेगी।
न भूल पाने की फितरत याद न रख पाने की अक्षमता से कहीं ज्यादा बरबादी लानेवाली होती है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)