आंकड़ों की हेराफेरी से चमकाई तस्वीर

मार्क मोबियस से लेकर मॉर्गन स्टैनले और नोमुरा सिक्यूरिटीज़ तक ‘इंडिया स्टोरी’ के हरकारे हैं और इसकी मुनादी पीटकर आम भारतीयों की बचत पर हाथ साफ करते हैं। उन्हें पता है कि सच्चाई सामने पर आम भारतीयों को ही अंजाम भुगतना पड़ेगा। इस वक्त असलियत को संगठित व सरकारी स्तर पर छिपाकर कैसे गलत जानकारी दी जा रही है, एक बानगी। चालू वित्त वर्ष 2023-24 की जून तिमाही में जीडीपी की सतह पर दिखनेवाली या नॉमिनल विकास दर 8% दर्ज की गई। असली विकास दर इसमें से मुद्रास्फीति के असर को घटाकर निकाली जाती है। हम सभी जानते हैं कि रिजर्व बैंक ने अप्रैल 2014 से ही देश में थोक मूल्य सूचकांक के बजाय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित रिटेल मुद्रास्फीति को मानक बना लिया है। इसलिए जीडीपी की असली विकास दर की गणना में भी रिटेल मुद्रास्फीति को अपनाना चाहिए। लेकिन सरकार ने अभी थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति को आधार बनाया जो पहली तिमाही में 0.2% रही है। उसने कहा कि पहली तिमाही में जीडीपी की विकास दर (8.0 – 0.2) = 7.8%  रही। लेकिन रिटेल मुद्रास्फीति से गिनें तो यह दर (8.0 – 4.6) = 3.4% ही निकलती है। अब शुक्रवार का अभ्यास…

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