रिजर्व बैंक तीन सालों मे पहली बार ब्याज दरों में कटौती करने जा रहा है। फाइनेंस की दुनिया में सक्रिय 20 विश्लेषकों में से 17 विश्लेषकों का मानना है कि रिजर्व बैंक अगले मंगलवार को पेश की जानेवाली नए वित्त वर्ष 2012-13 की सालाना मौद्रिक नीति में रेपो दर को 8.50 फीसदी के मौजूदा स्तर से 0.25 घटाकर 8.25 फीसदी कर देगा। वहीं मात्र तीन विश्लेषकों की राय है कि रेपो दर को 8.50 फीसदी पर यथावत रखा जाएगा।
यह राय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के एक संक्षिप्त सर्वे में सामने आई है। रिजर्व बैंक ने इससे पहले आखिरी बार अप्रैल 2009 में रेपो दर घटाई थी। मार्च 2010 के बाद से अक्टूबर 2011 तक वह लगातार रेपो दर को बढ़ाता-बढ़ाता 8.50 फीसदी पर ले आया। मध्य-दिसंबर से उसने इसे जस का तस रखा है। बता दें कि रेपो दर वह सालाना ब्याज दर है जिस पर बैंक रिजर्व बैंक से कुछ दिनों के लिए उधार लेते हैं। अभी चल रही लिक्विडिटी की तंगी की सूरत में यही दर नीतिगत दर बन जाती है जिससे ब्याज दरों का निर्धारण होता है। अभी बैंक हर दिन औसतन 90,000 करोड़ रुपए से ज्यादा रकम रिजर्व बैंक से उधार ले रहे हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक रिजर्व बैंक आर्थिक विकास को गति देने के लिए ब्याज दरें घटाएगा। एक्सिस बैंक के एक अर्थशास्त्री सौगात भट्टाचार्य का कहना है, “रेपो दर में कटौती का मुख्य कारण धन की लागत को घटाना होगा। निवेश में कमी से अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ रही है। इस स्थिति को पलटने की जरूरत है।”
जहां तक सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) की बात है तो 19 में से 13 विश्लेषकों ने माना कि रिजर्व बैंक अगले हफ्ते इसमें कोई कमी नहीं करेगा। फिलहाल सीआरआर की दर 4.75 फीसदी है। चार विश्लेषकों की राय में सीआरआर को 0.50 फीसदी घटाकर 4.25 फीसदी पर लाया जा सकता है, वहीं दो का कहना था कि इसमें 0.25 फीसदी कमी की जाएगी। सीआरआर वह अनुपात है जिसमें बैंकों को अपनी कुल जमा का एक हिस्सा रिजर्व बैंक के पास बतौर कैश रखना होता है। इस साल जनवरी में ही रिजर्व बैंक ने सीआरआर को 0.75 फीसदी घटाकर 4.75 फीसदी किया था।