इंडसइंड बैंक, लगता है जैसे सीधे सिंधु घाटी सभ्यता से निकला चला आ रहा हो। ऊपर से हिंदुजा समूह से वास्ता। 1994 में शुरुआत हुई अनिवासी भारतीयों से जुटाई गई 100 करोड़ रुपए की पूंजी के साथ, जिसमें से 60 करोड़ रुपए प्राइवेट प्लेसमेंट और बाकी 40 करोड़ रुपए सीधे सहयोग से आए। बैंक लगातार बढ़ रहा है। बड़े ग्राहकों के चुनिंदा समूहों को पकड़ने की उसकी रणनीति है। मसलन, देश के दोनों प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों बीएसई व एनएसई और तीन प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंजों एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स व एनएमसीई के लिए वह क्लियरिंग बैंक का काम करता है।
उसका शेयर ए ग्रुप में शामिल है और बीएसई-100 का हिस्सा है। इसलिए इस पर कोई सर्किट सीमा नहीं लगती। दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर करीब साल भर पहले 31 जनवरी 2011 को 181 रुपए की तलहटी पर था। लगभग पांच महीने बाद ही 6 जुलाई 2011 को 292 रुपए की चोटी पर पहुंच गया और फिलहाल उसी के आसपास डोल रहा है। कल, 19 जनवरी 2012 को बीएसई (कोड – 532187) में 275.90 रुपए और एनएसई (कोड – INDUSINDBK) में 276.50 रुपए पर बंद हुआ है। इसके फ्यूचर्स में भी बढ़त का रुझान है।
बैंक ने 10 जनवरी को दिसंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए। तभी से इसमें बढ़त का क्रम जारी है। 9 जनवरी को बीएसई में इसका बंद भाव 245.65 रुपए था, जबकि कल 275.90 रुपए रहा है। इस तरह महज सात कारोबारी सत्रों में यह 12.3 फीसदी बढ़ चुका है। वैसे, सच कहें तो अब यह ठंडा हो रहा है क्योंकि यह तीन कारोबारी सत्रों में ही 18.6 फीसदी बढ़कर यह 13 जनवरी को 291.45 रुपए पर चला गया था। क्या इसमें अब भी निवेश का योग बनता है? आइए देखते हैं।
बैंक ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 में 3589.36 करोड़ रुपए की आय पर 577.32 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। चालू वित्त वर्ष के दौरान दिसंबर की तिमाही में उसकी आय 51.90 फीसदी बढ़कर 1389.74 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 33.86 फीसदी बढ़कर 205.96 करोड़ रुपए हो गया। इससे पहले सितंबर तिमाही में उसकी आय 55 फीसदी बढ़कर 1323.86 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 45.02 फीसदी बढ़कर 193.09 करोड़ रुपए हो गया था। इसलिए बाजार में आम गिरावट के बावजूद अगर उसका शेयर बढ़ रहा है तो यह एकदम जायज और दुरुस्त है।
दिसंबर तिमाही में बैंक ने दिए गए ऋण 30 फीसदी बढ़ा लिए हैं, जबकि बैंकों की औसत ऋण वृद्धि 20 फीसदी की रही है। खासकर कंज्यूमर फाइनेंस के लिए दिए गए ऋणों में साल भर पहले की तुलना में 48 फीसदी इजाफा हुआ है। बैंक ने फच्चर में फंसनेवाले ऋणों पर भी बराबर अंकुश रखा हुआ है। उसका सकल एनपीए दिसंबर 2011 के अंत में कुल ऋणों का 1.02 फीसदी रहा है, जबकि सितंबर 2011 के अंत में यह 1.09 फीसदी और दिसंबर 2010 के अंत में 1.21 फीसदी था।
हां, इंडसइंड बैंक की कासा (चालू व बचत खाता) जमा जरूर थोड़ी घटी है। सितंबर तिमाही में कुल जमा में इसका योगदान 27.7 फीसदी था, जबकि दिसंबर तिमाही में 26.5 फीसदी पर आ गया। लेकिन बचत खाते की ब्याज दर को नियंत्रण-मुक्त कर दिए जाने का फायदा उठाते हुए वह दिसंबर तिमाही के दौरान बचत खातों में जमाराशि की मात्रा को 21 फीसदी बढ़ाने में कामयाब रहा है। वह इस वक्त बचत खातों की जमा पर 5.5 फीसदी से 6 फीसदी तक ब्याज दे रहा है।
इसके बावजूद वह जमा की लागत में वृद्धि को सितंबर तिमाही के स्तर 8.16 फीसदी पर ही बरकरार रखने में कामयाब रहा। हां, धन के अन्य स्रोतों की लागत दिसंबर तिमाही में 7.23 फीसदी बढ़ गई, जबकि सितंबर तिमाही में यह 7.15 फीसदी बढ़ी थी। उसका शुद्ध लाभ मार्जिन भी साल भर पहले के 3.35 फीसदी से घटकर 3.25 फीसदी रह गया है। लेकिन शुल्क आय की बढ़त और शाखाओं के विस्तार ने सारी कमी की भरपाई कर दी। साल की आखिरी तिमाही भी बैक के लिए अच्छी दिख रही है।
असल में इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि जब-जब ब्याज दरों में कटौती हुई है, बैंकों के शेयर पूरे बाजार की तुलना में ज्यादा बढ़े हैं। साल 2002 में रिजर्व बैंक ने रेपो दर एक फीसदी घटाई थी तो बीएसई बैंकेक्स 34.28 फीसदी बढ़ गया, जबकि सेंसेक्स 3.52 फीसदी ही बढ़ा था। 2004 में बैंकेक्स 32.97 फीसदी बढ़ा, जबकि सेंसेक्स 13.08 फीसदी। 2009 में लेहमान संकट का वास्ता जबकि बैंकिंग सेक्टर ही था। फिर भी रेपो दर में 2.75 फीसदी की कमी के बाद बीएसई बैंकेक्स ने सेंसेक्स की तुलना में ज्यादा बढ़त हासिल की। अब एक बार फिर रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करने जा रहा है।
हो सकता है, 24 जनवरी को मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा के दौरान वह ऐसा न करे। लेकिन आगे ब्याज दरें घटाएगा, इसमें कोई दो राय नहीं। इसलिए इसका फायदा इंडसइंड बैंक ही नहीं, पूरे बैंकिंग सेक्टर को मिलना चाहिए। इंडसइंड का शेयर इस समय 17.16 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि दिसंबर 2010 में यह 40.14 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो चुका है। बाकी, आप खुद समझदार हैं। सब कुछ देखभाल कर ही निवेश का फैसला करें। मेरा सुझाव यही होगा कि इंडसइंड को थोड़ा और ठंडा हो जाने दें। 245-250 रुपए तक आ जाए तो इसे साल भर के लिए खरीदा जा सकता है।