रिजर्व बैंक ने नए वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति में रेपो दर को 6.5% पर जस का तस रखा है। इस दर पर रिजर्व बैंक बैंकों को एकाध दिन के लिए उधार देता है। यह पूरे सिस्टम में ब्याज दर की मानक है। इससे पहले कोविड महामारी के दौरान मई 2020 में उसने रेपो दर घटाकर 4% की थी। फिर इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर फरवरी 2023 में 6.5% किया और तब से बदला नहीं है। रिजर्व बैंक गवर्नर ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति घोषित करने के बाद कहा कि मुद्रास्फीति का हाथी अब जंगल की तरफ चला गया है। वो लौटकर न आए, इसलिए रेपो दर ऊंची रखी गई है। यह सब असल में कहने की बातें हैं। रिटेल मुद्रास्फीति की दर फरवरी 2024 में 5.09% रही है। लेकिन दवाओं से लेकर घी-तेल, पेट्रोल, डीजल व साबुन के साथ ही खाने की चीजों का दाम देखें तो असल महंगाई 15-20% सालाना से ज्यादा है। ठहरी कमाई के बीच महंगाई आम आदमी की बचत घटा देती है। बची हुई बचत को भी महंगाई न खा जाए, इसके लिए हम शेयर बाज़ार में निवेश करते हैं। केवल मजबूत व संभावनाओं से भरी कंपनियों के शेयर ही साल में 10-12% ज्यादा रिटर्न देकर हमारी बचत को छीझने से बचा सकते हैं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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