शेयर बाज़ार से बिना धांधली या घोटाले के कितना कमाया जा सकता है इसकी मिसाल हैं राकेश झुनझुनवाला। अब वे इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन उनकी सीख भारत के सभी निवेशकों व ट्रेडरों के लिए प्रतिमान है। बाप मुंबई में इनकम टैक्स कमिश्नर थे तो धन-दौलत और शान-ओ-शौकत की कोई कमी नहीं थी। लेकिन बेटे को शेयर बाज़ार में लगाने के लिए पैसे देने से मना कर दिया और हिदायत दी कि वो दोस्तों से भी कुछ न मांगे। राकेश ने पॉकेट मनी वगैरह से बचाकर 1985 में शेयर बाज़ार में ₹5000 लगाए। आज उनकी नेटवर्थ ₹46,000 करोड़ से ज्यादा है। दो चीजें उनसे सीखने की हैं। एक, भारत की विकासगाथा में अगाथ विश्वास और दो, सफलता स्थाई नहीं, अस्थाई होती है। बाकी हर किसी को तो अपना खास अलग सिस्टम बनाना ही पड़ता है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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